प्रेमा के प्रेमिल सृजन __
24/10/2021_
विधा-मनहरण घनाक्षरी छंद
*सृजन शब्द-करवाँचौथ*
सुहागिनों की हैं शक्ति,
प्रभु पे अमिट हैं भक्ति,
करवाँ चौथ का व्रत,
त्योहार सजायेंगे।
व्रत हैं ये सुहाग का,
बढ़ते रहे भाग्य का,
पति की उम्र के लिये,
निर्जला निभायेंगे।
व्रत है ये विश्वास का,
अटूट बने आस का,
खाना पीना कुछ नहीं,
भूखे रह जायेंगे।
मेंहदी सुहाग वाली,
हाथों में रचा डाली,
पति सदा साथ रहें,
प्रभु को मनायेंगे।
----स्वरचित..
----योगिता चौरसिया"प्रेमा"
--- मंडला म.प्र.
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें