*सबके प्रति दया और प्रेम हो*
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सब प्राणियों के प्रति
जब मन। में पीड़ा हो,
प्राणी मात्र की पीड़ा
जब अपनी पीड़ा लगेगी,
तब ये समझ लेना
कि हमारे हृदय में दया है।
तब प्राणों में सोया
प्रेम जाग जायेगा,
और दूसरे के दर्द
अपनी पीड़ा समझने लगेंगे,
तब ये समझ लेना कि
ये जीवन हमें सही मिला है।
मनुष्य की सुमति
गुरु चरणों में समर्पण,
गुरु कृपा से ही होती है
गुरु की वंदना से होती है,
गुरु के प्रति निष्ठा ही
उनकी सच्ची अर्चना है।
ईश्वर का सामीप्य
गुरू कृपा से ही सम्भव है,
कर्मो का क्षय भी
ईश्वर की कृपा से होता है,
हृदय में दया और प्रेम
प्रभु कृपा से जाग्रत होता है।
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कालिका प्रसाद सेमवाल
रुद्रप्रयाग उत्तराखंड
*हे महावीर तुम्हें प्रणाम*
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भक्तों के रक्षक हो
सकल गुणों की तुम खान हो
तेज तपस्वी महावीर तुम
जय -जय मारुति नन्दन।
घर -घर पूजे जाते हो प्रभु
विद्या विनय सिद्धि दायक
रुद्र अशं हनुमन्त महान
हे महावीर तुम्हें प्रणाम।
अरुण रंग और तरुण अंग
अंजनी सुत अभिनन्दन है
हर पल राम भक्ति में डूबे हो
हे महावीर तुम्हें प्रणाम।
कष्ट निवारक करुणा नायक
भक्तों की सुनते हो तुम पुकार
ज्ञान ध्यान के योगी हनुमन्ता
हे महावीर तुम्हें प्रणाम।
चरण शरण तुम्हारे आया हूँ
संकट को हर लो श्री हनुमान
हाथ जोड़ कर करता हूँ विनती
हे महावीर तुम्हें प्रणाम।
अंजनी सुत हम शरण तुम्हारे
तुम्हें कोटि -कोटि वन्दन
बल बुद्धि विद्या के दाता
हे महावीर तुम्हें प्रणाम।
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कालिका प्रसाद सेमवाल
मानस सदन अपर बाजार
रुद्रप्रयाग उत्तराखंड
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