सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

आज हमारी घरवाली पांव दबाये पानी पिलाये घड़ी-घड़ी..... दयानन्द त्रिपाठी निराला

शीर्षक - आज हमारी घरवाली पांव दबाये पानी पिलाये घड़ी-घड़ी.....

आज हमारी घरवाली पांव दबाये पानी पिलाये घड़ी-घड़ी।
मेरे प्रियतम मेरे नाथ करती बातें बड़ी-बड़ी।
इठला कर वो हमसे बोली करवा पर कुछ गढ़वाओगे।
झुमका, बाली आज सजन तुम हार गले की बनवाओगे।।
देखो मेरे भोले सजन बगल वाली झुमका बाली ले आयी।
राह तुम्हारी देख रही थी  खीर  पकौड़ी  सब  बनायी ।।
टीवी, सोशल, अखबारें बोल रहे हैं छूट लगी है बड़ी-बड़ी...
आज मेरी घरवाली पांव दबाये पानी पिलाये घड़ी-घड़ी।।
हां ना जब कुछ सुनी नहीं तो रौद्र रूप है दिखलाई,
घरवाली बना गयी आज साहब सी है डांट पिलाई।।
मंगल की शोभा उड़ गयी बढ़ गयी अमंगल की छाया,
हाथ उठा संत्संग करे, खानदान बखाने खड़ी - खड़ी....
आज मेरी घरवाली पांव दबाये पानी पिलाये घड़ी-घड़ी।।
देखो मेरे निराला सजन मेरी बात भी सुनते जाओ।
दौड़-दौड़ कर थकी हुई हूँ लाज शरम कुछ तो खाओ।।
अब क्या बोलूं तुम प्राण पियारे कवितायें लिखते पढ़ते हो।
करवा पर पैर दबाना तुम्हें चाहिए  नाहक मुझसे कहते हो।
कविताओं को पढ़ने से प्राण पियारे गला दर्द होता है।
उसे दबा दूँ बोलो तुम दर्द मर्द को ना होता है।
मुझको झांसे में ना रखना अब बाजार चले जाओ।
मेरी खातिर साड़ी, झुमका, रसगुल्ले लाओ बड़ी-बड़ी....
आज मेरी घरवाली पांव दबाये पानी पिलाये घड़ी-घड़ी।।

                                - दयानन्द त्रिपाठी निराला

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

डा. नीलम

*गुलाब* देकर गुल- ए -गुलाब आलि अलि छल कर गया, करके रसपान गुलाबी पंखुरियों का, धड़कनें चुरा गया। पूछता है जमाना आलि नजरों को क्यों छुपा लिया कैसे कहूँ , कि अलि पलकों में बसकर, आँखों का करार चुरा ले गया। होती चाँद रातें नींद बेशुमार थी, रखकर ख्वाब नशीला, आँखों में निगाहों का नशा ले गया, आलि अली नींदों को करवटों की सजा दे गया। देकर गुल-ए-गुलाब......       डा. नीलम

डॉ. राम कुमार झा निकुंज

💐🙏🌞 सुप्रभातम्🌞🙏💐 दिनांकः ३०-१२-२०२१ दिवस: गुरुवार विधाः दोहा विषय: कल्याण शीताकुल कम्पित वदन,नमन ईश करबद्ध।  मातु पिता गुरु चरण में,भक्ति प्रीति आबद्ध।।  नया सबेरा शुभ किरण,नव विकास संकेत।  हर्षित मन चहुँ प्रगति से,नवजीवन अनिकेत॥  हरित भरित खुशियाँ मुदित,खिले शान्ति मुस्कान।  देशभक्ति स्नेहिल हृदय,राष्ट्र गान सम्मान।।  खिले चमन माँ भारती,महके सुरभि विकास।  धनी दीन के भेद बिन,मीत प्रीत विश्वास॥  सबका हो कल्याण जग,हो सबका सम्मान।  पौरुष हो परमार्थ में, मिले ईश वरदान॥  कविः डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" रचना: मौलिक (स्वरचित)  नई दिल्ली

रक्तबीज कोरोना प्रतियोगिता में शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल को मिला श्रेष्ठ साहित्य शिल्पी सम्मान

रक्तबीज कोरोना प्रतियोगिता में शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल को मिला श्रेष्ठ साहित्य शिल्पी सम्मान महराजगंज टाइम्स ब्यूरो: महराजगंज जनपद में तैनात बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षक व साहित्यकार दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल को श्रेष्ठ साहित्य शिल्पी सम्मान मिला है। यह सम्मान उनके काव्य रंगोली रक्तबीज कोरोना के चलते मिली है। शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी ने कोरोना पर अपनी रचना को ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता में भेजा था। निर्णायक मंडल ने शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल के काव्य रंगोली रक्तबीज कोरोना को टॉप 11 में जगह दिया। उनकी रचना को ऑनलाइन पत्रियोगिता में  सातवां स्थान मिला है। शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी को मिले इस सम्मान की बदौलत साहित्य की दुनिया में महराजगंज जनपद के साथ बेसिक शिक्षा परिषद भी गौरवान्वित हुआ है। बेसिक शिक्षा विभाग के शिक्षक बैजनाथ सिंह, अखिलेश पाठक, केशवमणि त्रिपाठी, सत्येन्द्र कुमार मिश्र, राघवेंद्र पाण्डेय, मनौवर अंसारी, धनप्रकाश त्रिपाठी, विजय प्रकाश दूबे, गिरिजेश पाण्डेय, चन्द्रभान प्रसाद, हरिश्चंद्र चौधरी, राकेश दूबे आदि ने साहित्यकार शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल को बधाई दिय...