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संजय जैन बीना

*अनुकूल सोच*
विधा: गीत

अनुकूल रहे प्रतिकूल रहे,
भाव हृदय में पवित्र रखे।
जो भी ऐसा कर पाता है,
जीवन में आनंद पाता है।।

चुगल खोर चुगली करे,
और चोर चोरी से बाज़ न आवे
ऐसे लोगों को लोग ही, 
अपने आजू बाजू न बैठाए।
और आते ही ऐसे लोगों के, 
लोग हो जाते सावधान।
और यहां वहां खिसकाने की, 
कौशिश वो करने लगते।।
अनुकूल रहे प्रतिकूल रहे,
भाव हृदय में पवित्र रखे।।

सदैव मिलने को व्याकुल रहते,
अच्छे और सच्चे लोगों से।
संगत का असर निश्चित पड़ता, 
हर किसी के जीवन पर।
तभी तो लोगों को शिक्षा प्रति,
करते है हम सजक।
जिससे हो जाएगा एक,
 सभ्य समाज का निर्माण।।
अनुकूल रहे प्रतिकूल रहे,
भाव हृदय में पवित्र रखे।।

जय जिनेन्द्र देव
संजय जैन0" बीना" मुम्बई
26/10/2021

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