सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

अर्चना सिंह

चाहत

चाहा था जिसे वह गुमनाम हो गई
जो न चाहा था वही बात हो गयी
 तुम कभी सपना बनकर मेरी निगाहों में बसते थे
आज बीच राह में मुलाकात हो गई
 जो न चाहा था वही बात हो गयी  ।। 

चाहते रहे कि तुम मेरे दिल से 
ता उम्र न निकलो मगर
जाने कब आंखों से बरसात हो गई
 जो ना चाहा था वही बात हो गई 
जिससे डरते थे वही बात हो गई 
जो न चाहा था वही बात हो गयी  ।। 

 तुम्हें बेइंतहा चाहा तो तुम न थे 
तब मेरे साथ हर याद हर बात थी
 दिल में बसी तुम्हारी सूरत थी 
चाहते थे कभी दिल ना टूटे 
और तू कभी ना रूठे 
पता नहीं क्या इत्तेफाक हो गई 
जो ना चाहा था वही बात हो गयी  ।। 

सब कुछ खोने के बाद भी 
दिल में एक विश्वास था 
हर डगर हर मोड़ पर 
बस तेरा ही इंतजार था
 पलके उठी 
सारे आंसू छलक गए 
अपने दामन में देखा तो कुछ भी न था 
फिर जाने क्या बात हो गई 
तुम्हारी याद आ गई 
बस जो ना चाहा था वही बात हो गयी  ।। 

                                    अर्चना सिंह
                                    महाराजगंज

टिप्पणियाँ

  1. जब से खुद को जाना बस यही पाया
    प्यार जिससे किया वो कभी साथ ना आया
    ढोते रहे जिम्मेदारियां बस ये समझ कर
    चलो मर कर भी किसी के काम आया

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

रक्तबीज कोरोना प्रतियोगिता में शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल को मिला श्रेष्ठ साहित्य शिल्पी सम्मान

रक्तबीज कोरोना प्रतियोगिता में शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल को मिला श्रेष्ठ साहित्य शिल्पी सम्मान महराजगंज टाइम्स ब्यूरो: महराजगंज जनपद में तैनात बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षक व साहित्यकार दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल को श्रेष्ठ साहित्य शिल्पी सम्मान मिला है। यह सम्मान उनके काव्य रंगोली रक्तबीज कोरोना के चलते मिली है। शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी ने कोरोना पर अपनी रचना को ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता में भेजा था। निर्णायक मंडल ने शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल के काव्य रंगोली रक्तबीज कोरोना को टॉप 11 में जगह दिया। उनकी रचना को ऑनलाइन पत्रियोगिता में  सातवां स्थान मिला है। शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी को मिले इस सम्मान की बदौलत साहित्य की दुनिया में महराजगंज जनपद के साथ बेसिक शिक्षा परिषद भी गौरवान्वित हुआ है। बेसिक शिक्षा विभाग के शिक्षक बैजनाथ सिंह, अखिलेश पाठक, केशवमणि त्रिपाठी, सत्येन्द्र कुमार मिश्र, राघवेंद्र पाण्डेय, मनौवर अंसारी, धनप्रकाश त्रिपाठी, विजय प्रकाश दूबे, गिरिजेश पाण्डेय, चन्द्रभान प्रसाद, हरिश्चंद्र चौधरी, राकेश दूबे आदि ने साहित्यकार शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल को बधाई दिय...

डा. नीलम

*गुलाब* देकर गुल- ए -गुलाब आलि अलि छल कर गया, करके रसपान गुलाबी पंखुरियों का, धड़कनें चुरा गया। पूछता है जमाना आलि नजरों को क्यों छुपा लिया कैसे कहूँ , कि अलि पलकों में बसकर, आँखों का करार चुरा ले गया। होती चाँद रातें नींद बेशुमार थी, रखकर ख्वाब नशीला, आँखों में निगाहों का नशा ले गया, आलि अली नींदों को करवटों की सजा दे गया। देकर गुल-ए-गुलाब......       डा. नीलम

डॉ. राम कुमार झा निकुंज

💐🙏🌞 सुप्रभातम्🌞🙏💐 दिनांकः ३०-१२-२०२१ दिवस: गुरुवार विधाः दोहा विषय: कल्याण शीताकुल कम्पित वदन,नमन ईश करबद्ध।  मातु पिता गुरु चरण में,भक्ति प्रीति आबद्ध।।  नया सबेरा शुभ किरण,नव विकास संकेत।  हर्षित मन चहुँ प्रगति से,नवजीवन अनिकेत॥  हरित भरित खुशियाँ मुदित,खिले शान्ति मुस्कान।  देशभक्ति स्नेहिल हृदय,राष्ट्र गान सम्मान।।  खिले चमन माँ भारती,महके सुरभि विकास।  धनी दीन के भेद बिन,मीत प्रीत विश्वास॥  सबका हो कल्याण जग,हो सबका सम्मान।  पौरुष हो परमार्थ में, मिले ईश वरदान॥  कविः डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" रचना: मौलिक (स्वरचित)  नई दिल्ली