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मार्कण्डेय त्रिपाठी

करवा चौथ

आज चांद से रूप चुराकर ,
सुहागिनों का मन हर्षित है ।
करवा चौथ की बहुत बधाई,
जोड़ी करती आकर्षित है ।।

यह सुहाग का व्रत है सचमुच,
चन्द्र दर्शन का अति महत्त्व है ।
बड़ा भाग्य होता है जिनका,
वे करतीं व्रत,मूल तत्व है ।।

पति की सुख समृद्धि कामना,
और दीर्घ जीवन की आशा ।
वैवाहिक जीवन हो सुखमय,
सुहागिनों की यह अभिलाषा ।।

पति के हाथों पानी पीकर,
वे निज जीवन धन्य मानतीं ।
भाव समर्पण का यह व्रत है,
हर पत्नी यह पूण्य जानती ।।

हे प्रभु, जोड़ी बनी रहे नित,
हम पर कृपा बनाए रखना ।
जीवन के झंझावातों से,
हमको सदा बचाए रखना ।।

यही मांग प्रभु से होती है,
अश्रु नयन में भर आते हैं ।
धन्य, धन्य संस्कृति हमारी,
सारे दुख तब मर जाते हैं ।।

हरितालिका तीज के सम ही,
करवा चौथ हृदय को भाता ।
बाजारों में रौनक दिखती,
देख मनस् सचमुच हरषाता ।।

करतीं व्रत, उपवास सुहाग हित,
कथा, कहानी भी होती है ।
कर सोलह श्रृंगार शाम को,
वे शुचि सपनों को बोती हैं ।।

जहां भी हैं भारतीय विश्व में,
करवा चौथ धूम रहती है ।
अमर रहे सौभाग्य हमारा,
नारी चरण चूम कहती है ।।

फिल्मों और सिरियलों में भी,
दिखती करवा चौथ की झांकी ।
चांद उतर आता धरती पर,
रम्य छटा दिखती है वाकी ।।

त्याग, समर्पण मूर्ति है नारी,
उसकी महिमा सच न्यारी है ।
उसके बिना शून्य है जीवन,
वह सचमुच ही अवतारी है ।।

उसके तन, मन की सुंदरता,
धरती स्वर्ग बना देती है ।
शक्ति,शील, सौंदर्य भाव से,
सबका मन हर्षा देती है ।।

मार्कण्डेय त्रिपाठी

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