कुसुमित कुण्डलिनी ----
------ सलामी-----
सदा सलामी भाव से , झुक जाते हैं शीश ।
तेरी करुणा को नमन , हे मेरे अवनीश ।।
हे मेरे अवनीश , एक तू अंतर्यामी ।
हे प्राणों के प्राण , जीव दे सदा सलामी ।।
तोप सलामी दागता , करता है सम्मान ।
वीर शहीदों ने किया , तन मन सब कुरबान ।।
तन मन सब कुरबान , तोड़ दी कष्ट गुलामी ।
गगन गूँज इक्कीस , दे रहा तोप सलामी ।।
दिए सलामी सैन्य ने , सेनानी कर याद ।
तन मन धन बलिदान की , तभी हुए आजाद ।।
तभी हुए आजाद , बने हम बैठे स्वामी ।
उनके पुण्य प्रताप , गर्व से दिए सलामी ।।
छोड़ सलामी भावना , करता है अपमान ।
सारे सुख का है दिया , जिसने तुझको दान ।।
जिसने तुझको दान , बनो पथ के अनुगामी ।
करता व्यर्थ प्रलाप , आज क्यों छोड़ सलामी ।।
नित्य सलामी छोड़कर , करता है बकवास ।
श्रेष्ठ समझता रे मनुज , यूँ कुछ बिना प्रयास ।।
यूँ कुछ बिना प्रयास , नहीं बनते हैं नामी ।
रखो नियम सिद्धांत , श्रेष्ठ जन नित्य सलामी ।।
-------- रामनाथ साहू " ननकी "
मुरलीडीह ( छ. ग. )
●◆■★●◆■★●◆■★●◆■★●◆■★●◆
कुसुमित कुण्डलिनी ----
26/10/2021
------ सुहानी -----
रात सुहानी हो गई , खिले मोंगरे फूल ।
आसमान पर चाँद भी , भूला सारे शूल ।।
भूला सारे शूल , चाँदनी आई रानी ।
आह्लादित मति मंच , गुजरती रात सुहानी ।।
दृश्य सुहानी रात की , रजत चन्द्रमा साथ ।
एक तुम्हारा जिक्र अब , लो पकड़ो प्रिय हाथ ।।
लो पकड़ो प्रिय हाथ , याद कर बात पुरानी ।
यादों की बारात , समाहित दृश्य सुहानी ।।
बात सुहानी ही करे , है तिलस्म का जाल ।
आँखों की मदहोशियाँ , ढाये गजब कमाल ।।
ढाये गजब कमाल , करे कुछ आनाकानी ।
गुजरे सारी रात , सुनाते बात सुहानी ।।
प्रीत सुहानी ही लगे , हो प्रियतम दीदार ।
नैन शराबी मद भरे , करते वह उपचार ।।
करते वह उपचार , रोग उसकी पहचानी ।
मन आँगन गुलजार , मिलन सुख प्रीत सुहानी ।।
सदा सुहानी रीत यह , प्रेम जगत विस्तार ।
नये कलेवर में सजे , महामिलन आकार ।।
महामिलन आकार , ढूँढते ज्ञानी ध्यानी ।
अनुकूलित परिवेश , सृजित हो सदा सुहानी ।।
-------- रामनाथ साहू " ननकी "
मुरलीडीह ( छ. ग. )
●◆■★●◆■★●◆■★●◆■★●◆■★●◆
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें