मुक्तक- चित्र आधारित!
नई नवेली नारि गयी अपने ससुरारी!
पहने कंगन हस्त चूड़ियाँ भर के नारी!
हिना हस्त में रचे कंठ में माला पहने!
उंगलि अँगूठी पहन नैन अवनी में डारी!!
रक्त वर्ण परिधान कान में झुमका पहने!
सुन्दर नीले नैन ओंठ में लाली दमके!
गोरे गोरे गाल रूप मनमोहक छवि है!
लगे इत्र हैं तेल सुगंधित भी वह महके!
अमरनाथ सोनी "अमर "
9302349662
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें