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संजय जैन बीना

*सात जन्मों का साथ*
विधा : कविता

मौत से पहले मैं देख लू जन्नत को। 
ऐसी मेरी दिलकी आरजू है। 
तेरे मेरी मोहब्बत को देखकर। 
जीने का अंदाज देख पाएंगे। 
और मोहब्बत को जान पाएंगे। 
दिलको दिल में तभी बसायेंगे।। 

जात पात ऊँच नीच का इसमें। 
कोई चक्कर कभी होता ही नहीं। 
क्योंकि होता है मोहब्बत में नशा। 
जिस को चढ़ता है ये नशा। 
हलचले बहुत दिलमें होने लगती है। 
इसलिए तो जन्नत दिखती है हमें।। 

मोहब्बत में जीने वाले वो जन। 
सात जन्मो का करते है वादा। 
जब भी लेंगे जन्म इस जहाँ में हम। 
साथ तेरे ही जीना मरना चाहेंगे।
और अपनी मोहब्बत को हम। 
निभायेंगे सात जन्मों तक।। 

जैसे राधा कृष्ण की मोहब्बत को
लोग आज भी याद करते है। 
ऐसे ही हम अपनी मोहब्बत को। 
यादगार बनाकर जहाँ से जायेंगे।। 

जय जिनेंद्र देव 
संजय जैन "बीना" मुंबई
23/10/2021

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