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नूतन लाल साहू

ऐ चांद तू जल्दी आना
करवां चौथ पर आधारित

हर साल दिवाली के पहले
करवां चौथ का व्रत आता है
लेकिन अखर जाता है
जब तुम,बादल में छिप जाते हो
भावों के फूलों से
मणिमाला पिरोई हूं मैं
ऐ चांद तू जल्दी आना।
आंखे मूंद लेती हूं मैं
चलचित्र की भांति
जब मद्धिम मद्धिम रोशनियां
चांद की नजर आती है
कुछ पाने के सपने है
ऐ चांद तू जल्दी आना।
जीवन एक कहानी है
कभी हंसाती है,कभी रुलाती है
पर चांद,तेरा एक झलक
जीवन सौरभ को, सुरभित कर देता है
ऐ चांद तू जल्दी आना।
मन के भीतर, विशद तरंगे
ऊपर नीचे, आगे पीछे
उठ रही है,हर पल
चैन से बैठ न पा रही हूं
आज मैं दिनभर
भावों के सागर,तन पर मन
धीमें धीमें थिरक रहा है
ऐ चांद तू जल्दी आना।
हर साल दिवाली के पहले
करवां चौथ का व्रत आता है
भावों के फूलों से
मणिमाला पिरोई हूं
ऐ चांद तू जल्दी आना।

नूतन लाल साहू

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