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मार्कण्डेय त्रिपाठी

आत्मनिर्भर भारत

दीवाली के पूण्य पर्व पर,
हम मिट्टी के दीप जलाएं ।
चीनी उत्पादों को छोड़ें ,
आत्मनिर्भर इंडिया बनाएं ।।

मेड इन इंडिया, उत्पादों को,
सदा खरीदें और अपनाएं ।
स्वाभिमान से जीना सीखें ,
भारत का सम्मान बढ़ाएं ।।

हस्तशिल्प और कुटीर उद्योगों
को फिर से हम मान दिलाएं ।
भारतीय रीति, रिवाजों के प्रति,
फिर से आदर भाव जगाएं ।।

लोकल फार वोकल पद्धति से,
अपनी क्षमता को पहचानें ।
मात्रा, गुणवत्ता में ऐसी,
बस्तु बनाएं, दुनियां जानें ।।

भारतीय उत्पादों से निश्चित,
आज विश्व बाजार सजेगा ।
ऊर्जस्वित है हृदय हमारा ,
फिर से डंका आज बजेगा ।।

वैक्सीन स्वयं बनाकर हमनें ,
विश्व पटल पर नाम कमाया ।
दुनियां को निर्यात किए हम ,
मानवता का फर्ज़ चुकाया ।।

अब तो छोटे वायुयान भी ,
भारत बेच रहा दुनियां को ।
भारत प्रतिभा निखर रही है ,
कौन पूछता है चिनियां को ।।

कम पैसों में मिली सफलता,
मंगलयान मिशन,जग जानें ।
कुछ भी नहीं असंभव है अब,
वैज्ञानिक प्रतिभा गर ठानें ।।

प्रधानमंत्री का शुभ चिंतन ,
भारत को ऊर्जस्वित करता ।
नहीं हाथ फैलाएंगे हम ,
यह विश्वास हृदय में भरता ।।

संकल्प से सिद्धि मंत्र का ,
अप्रतिम असर आज दिखता है ।
साथ, विकास, विश्वास सभी का,
व्यापक है,आकाश लिखता है ।।

मार्कण्डेय त्रिपाठी

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