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श्रीकांत त्रिवेदी

करवा चौथ

मां लक्ष्मी का वाहन,उल्लू 
उनसे इक दिन रूठ गया! 
कालरात्रि मां के भी वाहन 
गर्दभ का मुंह फूल गया!!

दोनो ही सलाह कर बैठे,
जाकर एक जगह पर ही,
दोनो सहमत इक दूजे से ,
केवल एक बात पर ही!!

हम दोनों की भी पूजा हो,
अपनी अपनी देवी संग!
तभी करें देवी सेवा जब,
हो इस जीवन में रंग!!

दोनो देवी अंतर्यामी,
इनके मन की जान गई,
इन दोनों की भी पूजा हो ,
बात ये दोनो मां गई!!

कालरात्रि के वाहन गर्दभ,
पूजन का दिन रखना याद!
देवी पूजन सप्तमी को, बस
उसके ग्यारह दिन बाद !!

मां लक्ष्मी ज्यादा दयालु हैं,
उलूक पूजन हो पहले !
दीवाली पर मेरे पूजन से,
केवल ग्यारह दिन पहले !!

इन दोनो की देखा देखी,
गणपति वाहन भी रूठे!
मेरी पूजा नहीं तो कोई,
मेरी पीठ पर मत बैठे!!

बोले गणपति, मूषक पूजन,
भी होगा तुम ना रूठो!
हो चतुर्थी पर जब पूजा,
संग मेरे तुम भी बैठो !!

तीनों ही दिन एक हो गए,
तब ये करवा चौथ बनी!
गर्दभ ,मूषक उलूक रूपी,
पति के पूजन हेतु बनी!!

हम सारे पति खुश हैं कितने, 
पत्नी आज करे पूजा!
मगर आज के बाद रोज ही,
जाएगा ढंग से पूजा !!
...श्रीकांत त्रिवेदी लखनऊ

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