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मधु शंखधर स्वतंत्र

*स्वतंत्र की मधुमय कुण्डलिया*
            *करवा*
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करवा माता की कृपा , सदा सुहागन नार।
दीर्घ आयु की कामना , सुखी रहे संसार ।
सुखी रहे संसार , साधना माँ की करते ।
व्रत पूजा धर ध्यान ,  सभी जन व्रत यह धरते।
कह स्वतंत्र यह बात ,  आस का है यह घरवा ।
पूजो सब मिल साथ , यही सत् व्रत है करवा ।।

करवा भर कर पूजती , करती हैं श्रृंगार ।
कथा कहानी आरती , बतलाए शुभ सार ।
बतलाए शुभ सार ,  धर्म सम्मान सिखाए ।
चंद्र देव का मान , सदा शीतलता आए ।
कह स्वतंत्र यह बात , भाव से होता भरवा ।
मातु आगमन श्रेष्ठ , भरो सब मिलकर करवा ।।

करवा का व्रत कर रही , भारत की सब नार ।
पूजा अर्चन साधना , पति पत्नी का प्यार ।
पति पत्नी का प्यार , हाथ में हाथ सुहाए ।
कर सोलह श्रृंगार , नारियाँ गीत सुनाएँ ।
कह स्वतंत्र यह बात , गले में सोहे हरवा ।
हो अखंड सौभाग्य , यही वर दें माँ करवा ।।
मधु शंखधर स्वतंत्र
*प्रयागराज*

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