सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

मधु शंखधर स्वतंत्र

*स्वतंत्र की मधुमय कुण्डलिया*
            *करवा*
---------------------------------
करवा माता की कृपा , सदा सुहागन नार।
दीर्घ आयु की कामना , सुखी रहे संसार ।
सुखी रहे संसार , साधना माँ की करते ।
व्रत पूजा धर ध्यान ,  सभी जन व्रत यह धरते।
कह स्वतंत्र यह बात ,  आस का है यह घरवा ।
पूजो सब मिल साथ , यही सत् व्रत है करवा ।।

करवा भर कर पूजती , करती हैं श्रृंगार ।
कथा कहानी आरती , बतलाए शुभ सार ।
बतलाए शुभ सार ,  धर्म सम्मान सिखाए ।
चंद्र देव का मान , सदा शीतलता आए ।
कह स्वतंत्र यह बात , भाव से होता भरवा ।
मातु आगमन श्रेष्ठ , भरो सब मिलकर करवा ।।

करवा का व्रत कर रही , भारत की सब नार ।
पूजा अर्चन साधना , पति पत्नी का प्यार ।
पति पत्नी का प्यार , हाथ में हाथ सुहाए ।
कर सोलह श्रृंगार , नारियाँ गीत सुनाएँ ।
कह स्वतंत्र यह बात , गले में सोहे हरवा ।
हो अखंड सौभाग्य , यही वर दें माँ करवा ।।
मधु शंखधर स्वतंत्र
*प्रयागराज*

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान हरियाणा द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में "हरिवंश राय बच्चन सम्मान- 2020" से शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी (कवि दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल ) को मिलि उत्कृष्ट सम्मान

राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान हरियाणा द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में "हरिवंश राय बच्चन सम्मान- 2020" से शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी (कवि दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल ) को मिलि उत्कृष्ट सम्मान राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान हरियाणा द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में "हरिवंश राय बच्चन सम्मान- 2020" से शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी (कवि दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल ) को उत्कृष्ट कविता लेखन एवं आनलाइन वीडियो के माध्यम से कविता वाचन करने पर राष्ट्रीय मंच द्वारा सम्मानित किया गया। यह मेरे लिए गौरव का विषय है।

डा. नीलम

*गुलाब* देकर गुल- ए -गुलाब आलि अलि छल कर गया, करके रसपान गुलाबी पंखुरियों का, धड़कनें चुरा गया। पूछता है जमाना आलि नजरों को क्यों छुपा लिया कैसे कहूँ , कि अलि पलकों में बसकर, आँखों का करार चुरा ले गया। होती चाँद रातें नींद बेशुमार थी, रखकर ख्वाब नशीला, आँखों में निगाहों का नशा ले गया, आलि अली नींदों को करवटों की सजा दे गया। देकर गुल-ए-गुलाब......       डा. नीलम

रमाकांत त्रिपाठी रमन

जय माँ भारती 🙏जय साहित्य के सारथी 👏👏 💐तुम सारथी मेरे बनो 💐 सूर्य ! तेरे आगमन की ,सूचना तो है। हार जाएगा तिमिर ,सम्भावना तो है। रण भूमि सा जीवन हुआ है और घायल मन, चक्र व्यूह किसने रचाया,जानना तो है। सैन्य बल के साथ सारे शत्रु आकर मिल रहे हैं, शौर्य साहस साथ मेरे, जीतना तो है। बैरियों के दूत आकर ,भेद मन का ले रहे हैं, कोई हृदय छूने न पाए, रोकना तो है। हैं चपल घोड़े सजग मेरे मनोरथ के रमन, तुम सारथी मेरे बनो,कामना तो है। रमाकांत त्रिपाठी रमन कानपुर उत्तर प्रदेश मो.9450346879