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रामबाबू शर्मा राजस्थानी

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                    कविता
                *आत्महत्या*
                    ~~~
       संकट चाहे कैसा भी हो,
       हिम्मत आगे वो हारा है।
       आत्महत्या समाधान नहीं,
       सभी ने यह स्वीकारा है।।

       जन्म-मरण परमेश्वर लीला,
       धर्म ग्रंथों मे बतलाया है।
       आत्महत्या समाधान नहीं,
       ऐसा हमें सिखलाया है।।

       बात-बात पर कुंठित होना,
       खुद का करते हो अपमान।
       आत्महत्या समाधान नहीं,
       इतना तो अब तू ले जान।।

       मनुष्य रूप में जन्म मिला है,
       संस्कारों की अलख जगाओं।
       आत्महत्या समाधान नहीं,
       संस्कृतियों का मान बढ़ाओं।।

        गंगा जमुना सी पावनता,
        जीवन की सच्ची अभिलाषा।
        आत्महत्या समाधान नहीं,
        सफलता की यह परिभाषा।।

       ©®
          रामबाबू शर्मा,राजस्थानी,दौसा(राज.)

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                        कविता

          *आशा का परचम लहरा*
                        ~~~
         मात-पिता,पुण्य प्रताप से
         आशा का परचम लहरा।
         मनभावन मिली सफलता,
         खिल गया सबका चेहरा।।

         सत्कर्मों के पथ से ही तो,
         आशा का परचम लहरा।
         याद रखो बात हमारी,
         नहीं किसी का है पहरा।।

         धर्म-कर्म,विश्वास मंत्र से ही,
         आशा का परचम लहरा,
         परमेश्वर की बिना कृपा,
         किसने यहाँ ताज पहना।।

         आदर भाव संस्कारों से,
         आशा का परचम लहरा।
         मधुर वाणी व्यवहार से,
         सम्मान बढ़ता है सबका।।

         विकारों को हटाने से,
         आशा का परचम लहरा।
         सटीक संदेश मतवाला,
         कर जोड़ निवेदन मेरा।।

       ©®
          रामबाबू शर्मा,राजस्थानी,दौसा(राज.)

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