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अजय आवारा

बस करीब ही है सहर थोड़ी दूर और चल,
दिख जाएगी मंजिल थोड़ी दूर और चल।

है अगर तू ही एक तन्हा यहां तो क्या हुआ,
मिल जाएगा कोई तन्हा थोड़ी दूर और चल।

सूना ही सही तेरी ख्वाहिशों का आसमान,
मिल जाएगा कारवां थोड़ी दूर और चल।

थक गया है तू कल के पीछे भागते भागते,
मिल जाएगा तुझे कल थोड़ी दूर और चल।

क्या हुआ जो बिखर गए टुकड़े तेरी धार के,
मिल जाएगा तुझे साहिल थोड़ी दूर और चल।

संभाल कर रख ले अपने अधूरे सवालों को,
मिल जाएंगे जवाब उनके थोड़ी दूर और चल।

यूं तो हर कदम आखिर लगता है जिंदगी का,
मुलाकात होगी जिंदगी से थोड़ी दूर और चल

अजय "आवारा"

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