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एस के कपूर श्री हंस

।रचना शीर्षक।।*
*।।चाह और वाह, डाह*
*नहीं है, जीने की राह।।*
*।।विधा।।मुक्तक।।*
1
आग से आग   कभी 
बुझती    नहीं   है।
बिन धीरज   समस्या
सुलझती नहीं   है।।
क्रोध तो अवगुण   है
सबसे          बड़ा।
अहम से नज़र किसी
की झुकती नहीं है।।
2
हर किसी के सरोकार
से   मुलाकात  कर।
बस महोब्बत की  ही
संबको सौगात कर।।
सहयोग     सद्भावना
बसे      तेरे  अंदर।
वह तेरी      बात करे
तू उसकी बात कर।।
3
खुद को    तुम   जरा 
ताराशो इस कदर।
रहे सबकी ही     बस 
तुझ पर      नज़र।।
हर दोस्त को तुझ पर
ही      नाज़   हो।
बसा लो  अपने अंदर 
प्रेम  और सबर।।
4
जीवन में     तकलीफ
सीखा कर जाती है।
मुश्किल तोअच्छा बुरा
दिखा कर जाती है।।
हर हार से    हम  कुछ
कुछ    हैं    सीखते।
कठनाई हमसे पहचान
करा कर    जाती है।।
5
युगों से चला आ    रहा
यही एक विधान है।
जीवन ही समस्या और
समाधान        है ।।
बस उम्मीद का    दामन
हमेशा थामे रखना।
तेरे पास खुद हर    बात
का  निदान     है।।
*रचयिता।।एस के कपूर श्री हंस*
*बरेली।।*
*©. @.   skkapoor*
*सर्वाधिकार सुरक्षित*



।रचना शीर्षक।।*
*।।हर लफ्ज़ बने मशाल,*
*वह  फरमान  लिखना।।*
*।।विधा।।मुक्तक।।*
1
जो मन   खुश  कर      सके
हमेशा वो सकून     लिखना।
जो गिरा दे दीवार   भेदभाव 
की  वो    कानून     लिखना।।
मुरझाए न      किसी    चेहरे
की रोशनी   और       रौनक।
कलम से हमेशा ऐसा जज्बा
जोशो      जनून      लिखना।।
2
पहले इंसान बन कर    फिर
तुम    कलमकार       बनना।
अपने से छोटे     बड़ों दोनों
के लिए    सरोकार   बनना।।
लिखना  ही     काफी  नहीं
शुरुआत      आचरण से हो।
जो सिल सके हर टूटे  रिश्ते 
तुम       वो दस्तकार बनना।।
3
दृढ़ता, करुणा,ज्ञान,  निर्णय
लिखना   अपने    लेखन में।
बुद्धि,विवेक,दूजों की समझ
 दिखना       अपने लेखन में।।
अहंकार ,    प्रतिशोध,  ईर्ष्या
आने न पाये     शब्दावली में।
कदापि झूठ हाथों  सच  मत
बिकना अपने    लेखन     में।।
4
हर कदम  मिटे   बुराई  कुछ
ऐसा       व्याख्यान  लिखना।
शब्द बने मशाल कुछ   ऐसा
तुम    फरमान        लिखना।।
लफ़्ज़ों में तुम्हारे हो   ताकत
तस्वीर            बदलने    की।
जो न कह पाया हर  आदमी
तुम वह     अरमान  लिखना।।

*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस"*
*बरेली।।*
 *©. @.   skkapoor*
*सर्वाधिकार सुरक्षित*

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