सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

छत्र छाजेड़ फक्कड़

कड़ियाँ बिखरी इधर उधर
जोड़ने वाला तो कोई और ही है

कहीं क्रोध बसा, कहीं मोह कमा
कहीं करूणा की नदियाँ बहती है
कहीं विश्वास से ही जीवन है
कहीं गुंजाइश शक की रहती है
आशा निराशा की भँवर से बाहर
आने का रास्ता तो आस्था ही है
कड़ियाँ तो बिखरी इधर उधर
जोड़ने वाला तो कोई और ही है

हार कब स्वीकार करता है नर
पर विजय की क्षमता भी कहाँ है
वेद पुराण पढ़े सभी मगर
सुखमय जीवन की डगर कहाँ है
कभी उतरता कभी चढ़ता ये
पर कालचक्र तो सतत चलता ही है
कड़ियाँ तो बिखरी इधर उधर
जोड़ने वाला तो कोई और ही है

कहाँ स्वर्ग है नर्क देखा किसने
कौन करता इसका लेखा जोखा
कर्म स्वयं के ही फलदायक
बाक़ी सब तो धोखा ही धोखा
पेट की आग में जलता मनुज
कुछ और तो इसे सूझता ही नहीं है
कड़ियाँ तो बिखरी इधर उधर
जोड़ने वाला तो कोई और ही है

अनगिन ज़ख़्म देता ये जीवन
पर मरहम तो मौत का लगता है
एक रास्ता बंद हो जाये अगर
दूजा स्वयं ही खुलता है
आना जाना तो क्रम सृष्टि का
सबके लिए ये होता समान ही है
कड़ियाँ तो बिखरी इधर उधर
जोड़ने वाला तो कोई और ही है

पटल के समस्त प्रबुद्ध सदस्यों को फक्कड़ का नमन
छत्र छाजेड़ “फक्कड़”

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

रक्तबीज कोरोना प्रतियोगिता में शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल को मिला श्रेष्ठ साहित्य शिल्पी सम्मान

रक्तबीज कोरोना प्रतियोगिता में शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल को मिला श्रेष्ठ साहित्य शिल्पी सम्मान महराजगंज टाइम्स ब्यूरो: महराजगंज जनपद में तैनात बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षक व साहित्यकार दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल को श्रेष्ठ साहित्य शिल्पी सम्मान मिला है। यह सम्मान उनके काव्य रंगोली रक्तबीज कोरोना के चलते मिली है। शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी ने कोरोना पर अपनी रचना को ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता में भेजा था। निर्णायक मंडल ने शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल के काव्य रंगोली रक्तबीज कोरोना को टॉप 11 में जगह दिया। उनकी रचना को ऑनलाइन पत्रियोगिता में  सातवां स्थान मिला है। शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी को मिले इस सम्मान की बदौलत साहित्य की दुनिया में महराजगंज जनपद के साथ बेसिक शिक्षा परिषद भी गौरवान्वित हुआ है। बेसिक शिक्षा विभाग के शिक्षक बैजनाथ सिंह, अखिलेश पाठक, केशवमणि त्रिपाठी, सत्येन्द्र कुमार मिश्र, राघवेंद्र पाण्डेय, मनौवर अंसारी, धनप्रकाश त्रिपाठी, विजय प्रकाश दूबे, गिरिजेश पाण्डेय, चन्द्रभान प्रसाद, हरिश्चंद्र चौधरी, राकेश दूबे आदि ने साहित्यकार शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल को बधाई दिय...

डा. नीलम

*गुलाब* देकर गुल- ए -गुलाब आलि अलि छल कर गया, करके रसपान गुलाबी पंखुरियों का, धड़कनें चुरा गया। पूछता है जमाना आलि नजरों को क्यों छुपा लिया कैसे कहूँ , कि अलि पलकों में बसकर, आँखों का करार चुरा ले गया। होती चाँद रातें नींद बेशुमार थी, रखकर ख्वाब नशीला, आँखों में निगाहों का नशा ले गया, आलि अली नींदों को करवटों की सजा दे गया। देकर गुल-ए-गुलाब......       डा. नीलम

डॉ. राम कुमार झा निकुंज

💐🙏🌞 सुप्रभातम्🌞🙏💐 दिनांकः ३०-१२-२०२१ दिवस: गुरुवार विधाः दोहा विषय: कल्याण शीताकुल कम्पित वदन,नमन ईश करबद्ध।  मातु पिता गुरु चरण में,भक्ति प्रीति आबद्ध।।  नया सबेरा शुभ किरण,नव विकास संकेत।  हर्षित मन चहुँ प्रगति से,नवजीवन अनिकेत॥  हरित भरित खुशियाँ मुदित,खिले शान्ति मुस्कान।  देशभक्ति स्नेहिल हृदय,राष्ट्र गान सम्मान।।  खिले चमन माँ भारती,महके सुरभि विकास।  धनी दीन के भेद बिन,मीत प्रीत विश्वास॥  सबका हो कल्याण जग,हो सबका सम्मान।  पौरुष हो परमार्थ में, मिले ईश वरदान॥  कविः डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" रचना: मौलिक (स्वरचित)  नई दिल्ली