कुसुमित कुण्डलिनी ----
13/10/2021
------ वाणी -----
वाणी तो अनमोल है , है अंतस आवाज ।
व्यर्थ खर्च मत कीजिए , इसकी रखिए लाज ।।
इसकी रखिए लाज , बसी इसमें ब्रह्मणी ।
सोच समझकर बोल , कीमती है यह वाणी ।।
वाणी से परिचय बने , इसमें भरो मिठास ।
दुनिया में परिचय बने , करते हर हिय वास ।।
करते हर हिय वास , बोलना बात प्रमाणी ।
शब्द ब्रह्म का रूप , मूल से निकले वाणी ।।
वाणी देवी शारदा , करती जिह्वा वास ।
इसके स्वामी मत बनो , बनकर रहना दास ।।
बनकर रहना दास , नमन नित वीणापाणी ।
करे जगत सम्मान , मधुर जो बोले वाणी ।।
वाणी से ही हो परख , काक कूक व्यवहार ।
नाद ब्रह्म यह जानिए , प्रसरित है संसार ।।
प्रसरित है संसार , सुधा विष समझे प्राणी ।
एक साधना सत्य , तोल मुख बोले वाणी ।।
-------- रामनाथ साहू " ननकी "
मुरलीडीह ( छ. ग. )
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श्लाध्य सृजन 👍👌👌👌👌
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