सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

व्यंजना आनंद मिथ्या

---- लवंगलता ---
                  ----    24 वर्ण
विधान संयोजन ---- जगण 8 +ल 
  121-121-121-12 ,
                 1-121-121-121-121-1

सादर समीक्षार्थ -----

महालय में अब आकर हूँ ,
     सुन ईश कृपा करना तुम आकर  ।
पुकार रही तुमको कब से ,
    खुश हूँ मुरली धुन को अब पाकर
।।
सदा विनती करती रहती  ,
      छवि आज दिखा बन ईश  दिवाकर ।
पवित्र करो मन आज यहाँ  ,
      रखना इस जीवन को सुलझाकर। ।।

                      💥💥

महान विचारक ही करते  ,
     इस जीवन में कुछ आज स्व  खोकर । 
    बढ़ा पग साधक जीवन में ,
         खुद को मिलता सुख पावन बोकर ।।  
करो प्रण मानव आज यहाँ ,
      रहना मत जीवन में तुम  सोकर  ।
मिला कब देख यहाँ  नर को  ,
    इस मानव जीवन में खुद रोकर ।।

                💥💥


स्व पावन भावन  सोच रखो ,
    हिय में रखना प्रभु आज बसाकर ।
सुकर्म करो नित देख सदा ,
        तन मानव का रखना तुम सुसजाकर  ।।
भगा उस दानव को  तन से  ,
     बसती रहती मन भोग दिखाकर । 
सुनो  मद मोह रहे  मन में  ,
      अब आज भगा यह दोष हराकर ।।

****************************************((******))*********

*व्यंजना आनंद  " मिथ्या "*

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान हरियाणा द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में "हरिवंश राय बच्चन सम्मान- 2020" से शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी (कवि दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल ) को मिलि उत्कृष्ट सम्मान

राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान हरियाणा द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में "हरिवंश राय बच्चन सम्मान- 2020" से शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी (कवि दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल ) को मिलि उत्कृष्ट सम्मान राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान हरियाणा द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में "हरिवंश राय बच्चन सम्मान- 2020" से शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी (कवि दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल ) को उत्कृष्ट कविता लेखन एवं आनलाइन वीडियो के माध्यम से कविता वाचन करने पर राष्ट्रीय मंच द्वारा सम्मानित किया गया। यह मेरे लिए गौरव का विषय है।

डा. नीलम

*गुलाब* देकर गुल- ए -गुलाब आलि अलि छल कर गया, करके रसपान गुलाबी पंखुरियों का, धड़कनें चुरा गया। पूछता है जमाना आलि नजरों को क्यों छुपा लिया कैसे कहूँ , कि अलि पलकों में बसकर, आँखों का करार चुरा ले गया। होती चाँद रातें नींद बेशुमार थी, रखकर ख्वाब नशीला, आँखों में निगाहों का नशा ले गया, आलि अली नींदों को करवटों की सजा दे गया। देकर गुल-ए-गुलाब......       डा. नीलम

रमाकांत त्रिपाठी रमन

जय माँ भारती 🙏जय साहित्य के सारथी 👏👏 💐तुम सारथी मेरे बनो 💐 सूर्य ! तेरे आगमन की ,सूचना तो है। हार जाएगा तिमिर ,सम्भावना तो है। रण भूमि सा जीवन हुआ है और घायल मन, चक्र व्यूह किसने रचाया,जानना तो है। सैन्य बल के साथ सारे शत्रु आकर मिल रहे हैं, शौर्य साहस साथ मेरे, जीतना तो है। बैरियों के दूत आकर ,भेद मन का ले रहे हैं, कोई हृदय छूने न पाए, रोकना तो है। हैं चपल घोड़े सजग मेरे मनोरथ के रमन, तुम सारथी मेरे बनो,कामना तो है। रमाकांत त्रिपाठी रमन कानपुर उत्तर प्रदेश मो.9450346879