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रामनाथ साहू ननकी

कुसुमित कुण्डलिनी  ----
  ------ सजावट -----

आज सजावट खूब है , गाँव गली उजियार ।
दीपों के त्यौहार पर , मस्त मगन संसार ।।
मस्त मगन संसार , दिखाते नयी बनावट ।
फैला परम प्रकाश , देखते आज सजावट ।।


पिया सजावट देखकर , आये और समीप ।
देखे मुखड़ा गौर से , धरकर कोई दीप ।।
धरकर कोई दीप , नेहवश करें मिलावट ।
निखरा है शृंगार , करें जब पिया सजावट ।।


भव्य सजावट देख कर , नींव गए सब  भूल ।
वाह वाह करते सभी , रौंदे कितने फूल ।।
रौंदे कितने फूल , त्याग दी सर्व रुकावट ।
ख़ुशियाँ पीछे देख , आज है भव्य सजावट ।।


खूब सजावट कीजिए , आये सद्गुरु द्वार ।
मंगल कलश सजाइए , रंगोली शृंगार ।।
रंगोली शृंगार ,  बनी है वाह बनावट ।
जगमग चारो ओर , सजी है खूब सजावट ।।

                   -------- रामनाथ साहू " ननकी "
                              मुरलीडीह ( छ. ग. )

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