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डॉ0 हरि नाथ मिश्र

गीत(16/14)
अधरों पर मुस्कान आ गई,
आज पिया के आने से।
झूम उठा तन-मन सब अपना,
उन्हें पुनः पा जाने से।

होंगी बातें मीठी-मीठी,
रात-दिवस तक बिना थके।
भर लेंगे बाहों में मुझको,
 लगातार वे बिना रुके।
आशाओं के फूल खिलेगें,
उनको गले लगाने से।।
   उन्हें पुनः पा जाने से।।

रातें अब सब पूनम होंगी,
तम न अमावस आएगा।
ग़म के बादल अब न रहेंगे,
नहीं अँधेरा छाएगा।
दुनिया के सुख सब मिल जाते,
सम्यक प्रीति निभाने से।।
  उन्हें पुनः पा जाने से।।

महक उठेगी जीवन बगिया,
आशाओं के फूलों से।
मधुर मिलन का सुख भी होगा,
कभी-कभी की भूलों से।
यह सुख तो ऐसा होता जो,
भूले नहीं भुलाने से।।
      उन्हें पुनः पा जाने से।।

प्रेयसि-प्रेमी मिलना होता,
पावन संगम तन-मन का।
सच्चे दिल में देव-वास है,
नहीं काम कुछ अब धन का।
मंज़िल मेरी आज मिल गई,
बिगड़ी बात बनाने से।।
      उन्हें पुनः पा जाने से।।
              © डॉ0 हरि नाथ मिश्र
                   9919446372

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