*भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री*
19 नवंबर सन 1917 को एक चाँदनी चमकी।
मोतीलाल नेहरू अधिवक्ता के घरमें ये चमकी।
प्रयागराज की पुण्य धरा आनंदभवन में जन्मी।
जवाहरलाल नेहरू एवं कमला नेहरू से जन्मी।
लालन पालन राजकुमारी जैसे इंदिरा ने पाया।
पढ़ लिख के स्वतंत्रता संग्राम में कदम बढ़ाया।
अंग्रेजों से लड़ने को बच्चों की टोली है बनाई।
बानरीसेना में जान फूँक स्वयं की है अगुआई।
इंदिरा जी का एक नाम है इंदिरा प्रियदर्शिनी।
माँ-बाप की इकलौती पुत्री सुंदर प्रियदर्शिनी।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में रहीहैं पदाधिकारी।
तेज तर्रार प्रतिभाशाली परिश्रमी सुंदर नारी।
फिरोज गांधी से प्यार में लवमैरिज कर डारी।
राजीव एवं संजय गांधी उनके उत्तराधिकारी।
भारतीय इतिहास में इंदिरा हैं ऐसी पहली नारी।
भारत गणराज्य की प्रधानमंत्री थीं हैट्रिक मारी।
25जून1975 को भारत में आपातकाल लगाई।
21मार्च1977 तक 21 महीने इमरजेंसी चलाई।
1977के चुनाव में ये पार्टी कुर्सी से उतार दिया।
इस इमरजेंसी ने इंदिरा को सत्तासे बाहर किया।
1980में एक आई फिर इंदिरा गांधी की आँधी।
बड़ीजीत हुई प्रधानमंत्री पुनः बनी इंदिरा गांधी।
1980 से 84 तक इनके राजनैतिक हत्या तक।
प्रधानमंत्री रहीहैं इंदिरा 31अक्टूबर हत्या तक।
रचयिता :
डॉ. विनय कुमार श्रीवास्तव,प्रतापगढ़,उत्तर प्रदेश
*रानी लक्ष्मीबाई जयंती विशेष*
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रचयिता :
*डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव*
वरिष्ठ प्रवक्ता-पी बी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.
रानी लक्ष्मीबाई को जन्म दिवस पर नमन करें।
शत शत नमन करें एवं सच्ची कथा श्रवण करें।
पिता थे मोरोपंत ताम्बे व माता भागीरथी बाई।
बचपन में नाम मणिकर्णिका कहें मनु भी भाई।
19नवम्बर1828 बनारस में जन्मी लक्ष्मीबाई।
4वर्ष के अल्पआयु में चल बसीं भागीरथी बाई।
बचपन में शिक्षा दीक्षा पिता मोरोपंत देते गये।
माँ की मृत्यु बाद पिता मनु को लेके बिठूर गये।
तात्या टोपे से शास्त्रों व अस्त्र शस्त्र शिक्षा पाई।
नाना साहब से भी हर विद्या की है शिक्षा पाई।
बिठूर में रानी लक्ष्मीबाई को छबीली कहते थे।
इस वीरांगना कन्या की लोग चर्चायें करते थे।
13वर्ष के आयु में ही छबीली का विवाह हुआ।
झाँसी शासक गंगाधर राव नोवलकर संग हुआ।
1851में लक्ष्मीबाई ने एक पुत्र को जन्म दिया।
3माह बाद ही ये पुत्र अकाल मृत्यु प्राप्त किया।
वंश चिन्ता में बीमार राजा ने बच्चा गोद लिया।
गंगाधर ने दामोदर राव को उत्तराधिकार दिया।
20नवम्बर1853 को गंगाधर राव की मृत्यु हुई।
दत्तक पुत्र को वारिस मानें अंग्रेजों से ये रार हुई।
मार्च1854में अंग्रेजों ने लक्ष्मीबाई को निकाला।
झाँसी किला छोड़ दें रानी ऐसा आदेश निकाला।
लक्ष्मीबाई झाँसी दुर्ग छोड़ी रानीमहल चली गई।
ब्रिटिश साम्राज्य के अत्याचारों से अब त्रस्त भई।
1857मंगल पाण्डे से क्रांति का प्रथम शंखनाद।
गोरे दिये मृत्युदण्ड भड़की जगह जगह ये आग।
बागियों ने गोरों को मेरठ कानपुर झाँसी में मारा।
कमिश्नर सागर रानी को शासन सौंप दिया सारा।
सदाशिव राव झाँसी का करेरा दुर्ग कब्ज़ा किया।
धोखा दे खुद को झाँसी का राजा घोषित किया।
ये दशा देख ओरछा के नत्थेखां ने हमला बोला।
रानी लक्ष्मीबाई ने उसके खोपड़ी का नट खोला।
इन युद्ध गतिविधियों ने ब्रितानी गोरे क्रुद्ध किया।
ह्यूरोज के नेतृत्व में ये 1858में झाँसी घेर लिया।
1द्रोही ने दुर्गद्वार खोला तो अंग्रेज होगये अंदर।
रानीसहयोगी झलकारीबाई मोतीबाई सुंदर मुंदर।
दत्तकपुत्र पीठ पे बाँधे रानी की कालपी प्रस्थान।
ह्यूरोज भी अपनी सेना ले पहुँचा कालपी स्थान।
पेशवा के मिश्रित सेना से ह्यूरोज का युद्ध हुआ।
रानी का क्रांतिवीरों संग ग्वालियर का कूच हुआ।
जिया जी राव सिंधिया ने अंत में मुँह मोड़ लिया।
सिंधिया व समर्थक सभी ह्यूरोज का साथ दिया।
17जू58 ह्यूरोज-स्मिथ ग्वालियर पे धावा बोले।
रानी के रामचंद्र देशमुख पुत्र ले सुरक्षा को डोले।
ग्वालियर में गोरों से लक्ष्मीबाई से अंतिम युद्ध है।
रणचंडी अवतार में रानी का पराक्रमी ये युद्ध है।
दुर्गदीवार न पार हुई रानीका घोड़ा झिझक गया।
ये लाभ उठा गोरों का प्राणघातक प्रहार हो गया।
18जून1858को भीषण घाव ने प्राण हर लिया।
गुलमुहम्मद ने वीरांगना मृतशरीर सुरक्षित किया।
बुंदेलखंड के माटी के कण-2 में वहहैं रची बसी।
भारतीय वीरांगना बहूबेटी रानी लक्ष्मीबाई बसी।
रानी लक्ष्मीबाई भारतीय इतिहास में अंगारा है।
गोरों को खड़ग से काटा मौतके घाट उतारा है।
अदम्य साहस निर्भीकता रानी के रग-2 में रहा।
बुद्धि चातुर्य विलक्षण प्रतिभा व्यक्तित्व में रहा।
सुभद्राकुमारी चौहान की कालजयी रचना देखें।
इतिहास में अमर क्रन्तिकारी लक्ष्मीबाई हैं देखें।
"बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने यही सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली ही रानी थी।।"
रचयिता :
*डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव*
वरिष्ठ प्रवक्ता-पी बी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.
(शिक्षक,कवि,लेखक,समीक्षक एवं समाजसेवी)
इंटरनेशनल चीफ एग्जीक्यूटिव कोऑर्डिनेटर
2021-22,एलायन्स क्लब्स इंटरनेशनल,प.बंगाल
संपर्क : 9415350596
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