सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

रामकेश एम.यादव

जरुरत है!

बिखरे  सपने  सजाने की  जरुरत है,
नफरत जहां से मिटाने की जरुरत है।
तहस- नहस किया  कोरोना  जिंदगी,
कारोबार  फिर बढ़ाने  की जरुरत है।

मत  भूलो अपने गाँव -घर का  पता,
पतझड़ से उसे बचाने की जरुरत है।
बहाओ न आँसू  जरा- सी ठेस पर तू,
हवा में  समंदर उठाने  की जरुरत है।

सभी लोग  तो हैं  इसी  मिट्टी से उगे,
बस आईना  दिखाने  की  जरुरत है।
बड़ा बनने  की  भूल  कभी न कर तू,
कागजी-कश्ती चलाने की जरुरत है।

टपकने  लगी  है  निगाहों   से  मस्ती,
अब वो दरिया बचाने  की  जरुरत है।
किसान बेचारे कितना सहें तकलीफ, 
उनके अच्छे दिन आने की जरूरत है।

पानी के  परिन्दे कब तक  उड़ेंगे नभ,
हरियाली और  बढ़ाने की जरुरत है।
खुशियाँ   संभाले  नहीं   संभल  रहीं,
इसे औरों  पे  लुटाने  की  जरुरत  है।

मरना तय  है  बचकर  जाओगे  कहाँ,
पुण्य की  गँठरी बढ़ाने  की जरुरत है।
आखिरी साँस तक महको इस जहां में,
ईश्वर  से  लौ   लगाने   की  जरुरत  है।

रामकेश एम.यादव(कवि,साहित्यकार),मुंबई

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान हरियाणा द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में "हरिवंश राय बच्चन सम्मान- 2020" से शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी (कवि दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल ) को मिलि उत्कृष्ट सम्मान

राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान हरियाणा द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में "हरिवंश राय बच्चन सम्मान- 2020" से शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी (कवि दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल ) को मिलि उत्कृष्ट सम्मान राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान हरियाणा द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में "हरिवंश राय बच्चन सम्मान- 2020" से शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी (कवि दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल ) को उत्कृष्ट कविता लेखन एवं आनलाइन वीडियो के माध्यम से कविता वाचन करने पर राष्ट्रीय मंच द्वारा सम्मानित किया गया। यह मेरे लिए गौरव का विषय है।

डा. नीलम

*गुलाब* देकर गुल- ए -गुलाब आलि अलि छल कर गया, करके रसपान गुलाबी पंखुरियों का, धड़कनें चुरा गया। पूछता है जमाना आलि नजरों को क्यों छुपा लिया कैसे कहूँ , कि अलि पलकों में बसकर, आँखों का करार चुरा ले गया। होती चाँद रातें नींद बेशुमार थी, रखकर ख्वाब नशीला, आँखों में निगाहों का नशा ले गया, आलि अली नींदों को करवटों की सजा दे गया। देकर गुल-ए-गुलाब......       डा. नीलम

रमाकांत त्रिपाठी रमन

जय माँ भारती 🙏जय साहित्य के सारथी 👏👏 💐तुम सारथी मेरे बनो 💐 सूर्य ! तेरे आगमन की ,सूचना तो है। हार जाएगा तिमिर ,सम्भावना तो है। रण भूमि सा जीवन हुआ है और घायल मन, चक्र व्यूह किसने रचाया,जानना तो है। सैन्य बल के साथ सारे शत्रु आकर मिल रहे हैं, शौर्य साहस साथ मेरे, जीतना तो है। बैरियों के दूत आकर ,भेद मन का ले रहे हैं, कोई हृदय छूने न पाए, रोकना तो है। हैं चपल घोड़े सजग मेरे मनोरथ के रमन, तुम सारथी मेरे बनो,कामना तो है। रमाकांत त्रिपाठी रमन कानपुर उत्तर प्रदेश मो.9450346879