दोहा- माँ!
माँ ममता की मूर्ति है, करती बाल उराव!
हसती बालक संग मे, देती आंँचल छाँव!!
भूँखी रहकर मात ने, लालन दिया खिलाय!
लेकर लालन साथ मे, लोरी गाय सुलाय!!
माता से बढ़कर नहीं, कोई जग भगवान!
उनके बत्सल प्रेम से, कोई नहिं अनजान!!
सब तीरथ माँ के चरण, कर लो तुम विश्वास!
चरण कमल जो पूजता, उनको जन्नत पास!!
अमरनाथ सोनी "अमर "
9302340662
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