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डॉ. कवि कुमार निर्मल

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🪔🪔🪔प्रकाशोत्सव २०२१🪔🪔🪔
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सिखों के प्रथम ननकाना साहिब का प्रकाशोत्सव आया।
५५२ वर्ष पूर्व रायभोय तलवंडी का जन पद था  हर्षाया।।

जन्मस्थली नानक की लाहौर से दक्षिण-पश्चिम योजन अवस्थित।
उदारता का पथ दर्शन पूर्वोत्तर दक्षिण-पश्चिम सदेह हो उपस्थित।।

संन्यासी बन गुरु नानक सत्य और प्रेम का पाठ पढ़ाये।
अंधविश्वास-पाखण्ड का खण्डन कर धर्माचार फैलाये।।

जातिवाद के शत्रु, हिन्दू-मुस्लिम ऐक्य के थे वे समर्थक।
धार्मिक सदभाव स्थापनार्थ आजीवन बने संत सार्थक।।

तीर्थाटन में हर जाति से धर्मिकों को अपना शिष्य बनाये।
हिन्दू इस्लाम की मूल शिक्षा मिश्रण से नूतन पंथ बनाये।।

प्रेम और समानता आधारित यही सिख धर्मश्रेष्ठ कहलाया।
भारत में ज्योति जला मक्का मदीना तक प्रभाव दिखाया।।

२५ वर्ष प्रचार कर कर्तारपुर में डेरा डाल उपदेश बरसाये।
अमर वाणी आज हम ‘गुरु ग्रंथ साहिब’ में संगृहीत पायें।।

१६ साल आयु में बटाला कन्या सुलक्खनी के जीवन साथी हुये।
२८ वर्ष की आयु, प्रथम पुत्र श्रीचन्द हुआ तो हर्षित नानक हुये।
३ साल छोटा द्वितीय पुत्र लक्ष्मीदास/लक्ष्मीचन्द किलकारी लाये।।

तातश्री का कृषिकर्म व व्यापार नानक को तनिक भी नहीं भाये।
घोड़े के व्यापार हेतु पैसे सारे, सेवा में लगा खाली हाथ लौट आये।
20 ₹ दिए तो, साधुओं गरीब लोगों को भोजन कपड़ो दे दंड पाये।।

35 के थे तो बहनोई जयराम अपने घर सुल्तानपुर बुला कर लाये।
3 साल सुल्तानपुर गवर्नर दौलत ख़ाँ के निष्ठावान मादी कहलाये।।

अधिकांश आय गरीबों और साधुओं को दे धार्मिक कहलाये।
बहुधा वे रातभर ईश्वर भजन में व्यतीत कर हरिदर्शन पाये।।

मरदाना तलवण्डी से आ नानक का सेवक बन अन्त तक निभाये।
गुरु नानक देव अपने पद गाते तब संग संग मरदाना रवाब बजाये।।

बेई नदी में स्नान कर आध्यात्मिक पुकार और निस्वार्थ सेवा नियम बतायें।
राय बुल्लर सर्वप्रथम नानक की दिव्यता समझी, पाठशाला में पढ़ने जायें।।

नानक के शिक्षक आध्यात्मिक काव्य सृजन सुन अतिचकित हुये।
यज्ञोपवीत वहिष्कार- संतोष, संयम के बंधन को जनेउ गुरु बताये।।

सत्य का बुना, अदाह्य, अमिट, ना खो व घिसने वाला श्रेष्ट सुत्र सुझाये।
जाति प्रथा अमानवीयता एवम् मूर्ति पूजा अधम कृत, नहीं धर्म समझाये।।

पिता कालू सोचे बेटा हो ना संत, धंधे में लगा उलझाये। 
व्यापार लाभ से भूखों को खिला लंगर इतिहास बनाये।।

१५३९ में ‘जपूजी’ का पाठ करते हुये वैकुण्ठ प्रयाण पाये।
पंथ का वैश्विक विस्तार, लख लख गुरुद्वारे खड़े करवाये।।

दस सिद्धांत नानक देव के गूढ़तम प्रासंगिक ग्राह्य ग्रंथों में हैं।
एकेश्वरवाद, सर्वव्यापी, सर्वकर्ता, सर्वशक्तिमान ईशउपासना गहें।।

वीर भक्त, ईमान परिश्रम से उदरपूर्ति कर भली सोच रख प्रतारणा त्यागें।
प्रसन्नचित्त रहें, क्षमाशीलता, नर नारी समभाव, शरीर रक्षार्थ अन्नादि खायें।
लोलुलता संचय अधर्म है जनसेवा हेतु नित लंगर सेवा भाव से भाग्य जागे।।
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💢💢☆डॉ. कवि कुमार निर्मल☆💢

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