प्रीत पदावली ----
20/11/2021
------ उलझन ----
मेरी उलझन सुलझा दो तुम आज ।
दीर्घकाल से भ्रमित भ्रमर मन ,
नहीं बदल पाया अपने अंदाज ।।
तुम गतिमान त्वरित सब संभव ,
अपने सब करते पूरण प्रिय काज ।
मेरे पंख कटे सहमे से ,
क्यों रही अधूरी है हर परवाज ।।
सर्व कला में सिद्धि निपुणता ,
सब करते हैं तुम पर ही क्यों नाज ।
तुम्हें खोजती सभी निगाहें ,
सब मंचों के बन बैठे सरताज ।।
दुर्बलता मुझे बताओ ,
मैं भी कर पाऊँ कुछ पूर्व रियाज ।
सम्मानित हो मेरा जीवन ,
चले जमाने में मेरा भी राज ।।
जीवनसाथी बनकर आओ ,
अब तुम रखना हर पल मेरी लाज ।
पूर्ण समर्पण करता हूँ अब ,
अब न गिरे ननकी कोई भी गाज ।।
-------- रामनाथ साहू " ननकी "
मुरलीडीह ( छ. ग. )
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