सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

रामनाथ साहू ननकी

प्रीत पदावली  ----
20/11/2021


                 ------  उलझन ----


मेरी उलझन सुलझा दो तुम आज ।
     दीर्घकाल से भ्रमित भ्रमर मन ,
               नहीं बदल पाया अपने अंदाज ।।


तुम गतिमान त्वरित सब संभव ,
           अपने सब करते पूरण प्रिय काज ।
मेरे पंख कटे सहमे से ,
               क्यों रही अधूरी है हर परवाज ।।


सर्व कला में सिद्धि निपुणता ,
          सब करते हैं तुम पर ही क्यों नाज ।
तुम्हें खोजती सभी निगाहें ,
               सब मंचों के बन बैठे सरताज ।।


दुर्बलता मुझे बताओ ,
           मैं भी कर पाऊँ कुछ पूर्व  रियाज ।
सम्मानित हो मेरा जीवन ,
                 चले जमाने में मेरा भी राज ।।


जीवनसाथी बनकर आओ ,
         अब तुम रखना हर पल मेरी लाज ।
पूर्ण समर्पण करता हूँ अब ,
         अब न गिरे ननकी कोई भी  गाज ।।


                   -------- रामनाथ साहू " ननकी "
                              मुरलीडीह ( छ. ग. )

!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान हरियाणा द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में "हरिवंश राय बच्चन सम्मान- 2020" से शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी (कवि दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल ) को मिलि उत्कृष्ट सम्मान

राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान हरियाणा द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में "हरिवंश राय बच्चन सम्मान- 2020" से शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी (कवि दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल ) को मिलि उत्कृष्ट सम्मान राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान हरियाणा द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में "हरिवंश राय बच्चन सम्मान- 2020" से शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी (कवि दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल ) को उत्कृष्ट कविता लेखन एवं आनलाइन वीडियो के माध्यम से कविता वाचन करने पर राष्ट्रीय मंच द्वारा सम्मानित किया गया। यह मेरे लिए गौरव का विषय है।

डा. नीलम

*गुलाब* देकर गुल- ए -गुलाब आलि अलि छल कर गया, करके रसपान गुलाबी पंखुरियों का, धड़कनें चुरा गया। पूछता है जमाना आलि नजरों को क्यों छुपा लिया कैसे कहूँ , कि अलि पलकों में बसकर, आँखों का करार चुरा ले गया। होती चाँद रातें नींद बेशुमार थी, रखकर ख्वाब नशीला, आँखों में निगाहों का नशा ले गया, आलि अली नींदों को करवटों की सजा दे गया। देकर गुल-ए-गुलाब......       डा. नीलम

रमाकांत त्रिपाठी रमन

जय माँ भारती 🙏जय साहित्य के सारथी 👏👏 💐तुम सारथी मेरे बनो 💐 सूर्य ! तेरे आगमन की ,सूचना तो है। हार जाएगा तिमिर ,सम्भावना तो है। रण भूमि सा जीवन हुआ है और घायल मन, चक्र व्यूह किसने रचाया,जानना तो है। सैन्य बल के साथ सारे शत्रु आकर मिल रहे हैं, शौर्य साहस साथ मेरे, जीतना तो है। बैरियों के दूत आकर ,भेद मन का ले रहे हैं, कोई हृदय छूने न पाए, रोकना तो है। हैं चपल घोड़े सजग मेरे मनोरथ के रमन, तुम सारथी मेरे बनो,कामना तो है। रमाकांत त्रिपाठी रमन कानपुर उत्तर प्रदेश मो.9450346879