शीर्षक:गुरु नानक साहिब का मानवता के लिये योगदान
एक ओंकार की बाणी से,
जग में अमृत का संचार किया।
जाति-धर्म से ऊपर,
दया और मानवता को मान दिया।
प्रभू एक निरंकार परमपिता,
जिनकी हम संतान हैं।
ना कोई ऊँचा ना नीचे,
हर मानव एक समान हैं।
दया धर्म है सबसे बड़ा,
ना किसी दीन-मूक के प्राण हरो।
करो सदा नेकी की कमाई,
किसी का भी हक़ ना मारो।
मिल बाँट के खाओ तुम,
आपस में सदा तुम रखो प्रेम
अमृतवेले ध्याओ प्रभु अपना,
पक्का करो अपना नितनेम।
लोभ लालच में ना फंसा स्वयं को,
सेवा करो दीन-दुखियों की।
सब में देख तू ईश्वर को,
ना रख भावना तू बैर की।
अनेक उपदेश बाबा नानकदेव के,
जिन्होंने जीवन का सार दिया।
साक्षात निरंकार के स्वरुप ,
धन गुरु नानक देवजी ने,
मानवता को मान दिया।
नंदिनी लहेजा
रायपुर(छत्तीसगढ़)
स्वरचित मौलिक अप्रक्षित
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