सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

मार्कण्डेय त्रिपाठी

प्रार्थना क्या है

आत्मा का गीत है यह प्रार्थना ,
भक्तगण का मीत है यह प्रार्थना ।
ईश के प्रति यह समर्पण भाव है,
दर्दमय संगीत है यह प्रार्थना ।।

लक्ष्य इसका ईश से संवाद है ,
भक्ति भाव विभोर, प्रेम अगाध है ।
हाथ जोड़े,आंख मूंदे, सिर झुकाए,
अश्रुधार लिए यह अनहद नाद है ।
भजन, संकीर्तन व लेखन कार्य से,
प्रकट पीड़ा भाव है यह प्रार्थना ।।
दर्दमय संगीत है

दीन, दुखियों की यह करुण पुकार है ,
ईश भक्ति का सहज आधार है ।
श्रद्धा, विश्वास और भरोसा से भरा,
परम पद की प्राप्ति हेतु व्यवहार है ।
मौन शब्दों में भी होती व्यक्त जो,
आत्म विह्वल भाव है यह प्रार्थना ।।
दर्दमय संगीत है

यह विवश, लाचार की आवाज है ,
लोक व परलोक सुख की राज है ।
प्रभु से एकाकार की स्थिति है यह,
सार्वजनिक हो या हो निजी साज है ।
मन और मस्तिष्क एक होते हैं तभी,
प्रभु को नित स्वीकार है यह प्रार्थना ।।
दर्दमय संगीत है

प्रार्थना द्रोपदी व मीरा तान है,
छोड़ दे दुनियां तो प्रभु का गान है ।
प्रार्थना प्रभु तक पहुंचती है तभी,
जब मनस् में कुछ भी ना अभिमान है ।
जाति, पंथों तक न सिमटी यह कभी,
हर हृदय उपचार है यह प्रार्थना ।।
दर्दमय संगीत है

भक्त उर की यह मधुर झंकार है,
रुदन स्वर में यह प्रभू से प्यार है ।
दूर रहती है दिखावे से सदा,
मांग जो करती नहीं,रसधार है ।
जो जगाती सुप्त हृदयों को सदा,
सरस मन श्रृंगार है यह प्रार्थना ।।
दर्दमय संगीत है

मार्कण्डेय त्रिपाठी ।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

डा. नीलम

*गुलाब* देकर गुल- ए -गुलाब आलि अलि छल कर गया, करके रसपान गुलाबी पंखुरियों का, धड़कनें चुरा गया। पूछता है जमाना आलि नजरों को क्यों छुपा लिया कैसे कहूँ , कि अलि पलकों में बसकर, आँखों का करार चुरा ले गया। होती चाँद रातें नींद बेशुमार थी, रखकर ख्वाब नशीला, आँखों में निगाहों का नशा ले गया, आलि अली नींदों को करवटों की सजा दे गया। देकर गुल-ए-गुलाब......       डा. नीलम

डॉ. राम कुमार झा निकुंज

💐🙏🌞 सुप्रभातम्🌞🙏💐 दिनांकः ३०-१२-२०२१ दिवस: गुरुवार विधाः दोहा विषय: कल्याण शीताकुल कम्पित वदन,नमन ईश करबद्ध।  मातु पिता गुरु चरण में,भक्ति प्रीति आबद्ध।।  नया सबेरा शुभ किरण,नव विकास संकेत।  हर्षित मन चहुँ प्रगति से,नवजीवन अनिकेत॥  हरित भरित खुशियाँ मुदित,खिले शान्ति मुस्कान।  देशभक्ति स्नेहिल हृदय,राष्ट्र गान सम्मान।।  खिले चमन माँ भारती,महके सुरभि विकास।  धनी दीन के भेद बिन,मीत प्रीत विश्वास॥  सबका हो कल्याण जग,हो सबका सम्मान।  पौरुष हो परमार्थ में, मिले ईश वरदान॥  कविः डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" रचना: मौलिक (स्वरचित)  नई दिल्ली

रक्तबीज कोरोना प्रतियोगिता में शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल को मिला श्रेष्ठ साहित्य शिल्पी सम्मान

रक्तबीज कोरोना प्रतियोगिता में शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल को मिला श्रेष्ठ साहित्य शिल्पी सम्मान महराजगंज टाइम्स ब्यूरो: महराजगंज जनपद में तैनात बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षक व साहित्यकार दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल को श्रेष्ठ साहित्य शिल्पी सम्मान मिला है। यह सम्मान उनके काव्य रंगोली रक्तबीज कोरोना के चलते मिली है। शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी ने कोरोना पर अपनी रचना को ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता में भेजा था। निर्णायक मंडल ने शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल के काव्य रंगोली रक्तबीज कोरोना को टॉप 11 में जगह दिया। उनकी रचना को ऑनलाइन पत्रियोगिता में  सातवां स्थान मिला है। शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी को मिले इस सम्मान की बदौलत साहित्य की दुनिया में महराजगंज जनपद के साथ बेसिक शिक्षा परिषद भी गौरवान्वित हुआ है। बेसिक शिक्षा विभाग के शिक्षक बैजनाथ सिंह, अखिलेश पाठक, केशवमणि त्रिपाठी, सत्येन्द्र कुमार मिश्र, राघवेंद्र पाण्डेय, मनौवर अंसारी, धनप्रकाश त्रिपाठी, विजय प्रकाश दूबे, गिरिजेश पाण्डेय, चन्द्रभान प्रसाद, हरिश्चंद्र चौधरी, राकेश दूबे आदि ने साहित्यकार शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल को बधाई दिय...