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डा. नीलम

*कलतारण गुरु नानक*

दीन हीन सी दुनियां सारी
कलजुग ने ही पंख पसारे
कलतारण तद ले अवतरण
गुरु नानक जी धरती ते आये

चार दिशा दी चार उदासियां*
मत लोगां दे बदले सी
इक नाज*दी रोटी दे वी
भेद उन्हानें दस्से सी

अंधभक्त लोकां नू राह सिद्दी
दिखाई सी/दूर देश विच पाणी
पा के खेत किवें सींचण गे
एह दस मत पुट्ठी* नूं बदली सी

ओह नूर ए इलाही एहो जिया
जिन्ने भेदभाव मिटाया सी
बाबर दे कारागार विच वी
रबाव ते सच्ची वाणी शबद
गाया सी

राक्षसी ताकता नूं दिखा के पंजा ताकत उन्हादी वखा
पहाड़ी दे थल्ले कड पाणी
बंदे दी प्यास बुझाई सी

कौड़े* लोकां नूं वसन* दी
ते भले लोकां नूं उजड़न दा
वर दे सच्ची-सुलखनी दुनिया
वसाण* दी सोच बणाई सी

धर्म-कर्म दे भेद मिटावण
बाबे नानक ने सी जन्म लिया
विखा के अपणी रुहानी शक्ति
फेर रुहानी आत्मा लेपरमात्मा दे श्रीचरणा चे जा बैठे।

*उदासियां--यात्राएं
*नाज--अनाज
*मत पुट्ठी--मति भ्रष्ट
*कौणे--गालियां देने वाले
*वसन--बसने
*वसाण--बसाने

         डा. नीलम

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