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नूतन लाल साहू

कैसा जमाना आ गया

कहने भर को लोकतंत्र है
खिसक जाते है लोग,अनदेखी करके
कौन सुनेगा, किसको बोले
किसे सुनाएं,कड़वा किस्सा
जब अपना ही भाई, चर गया भाईचारा
कैसा जमाना आ गया है।
देखा मैने एक आदमी
पड़ा सड़क के बीच में
ख़ाई चोट,एक्सीडेंट से
कराह रहा था,बहुत जोरों से।
जिसने भी देखा,खिसक लिया
मानवता तो कहीं खो गया है
लोगों के मुंह से बस इतना ही निकला
जाने क्या झंझट है
जाने क्या लफड़ा है
इंसान की ऐसी दशा देख
भौचक्का रह गया,मैं
राम जाने क्या पुछे सिपइया
कौन सुनेगा, किसको बोले
किसे सुनाएं, कड़वा किस्सा
जब अपना ही भाई, चर गया भाईचारा
कैसा जमाना आ गया।
बिना किसी संकोच के
गुंडा छेड़ रहा है,लड़की को
मदद के लिए,लड़की रोई
पर,कोई न आगे आया
ये जमाना,बड़ा ही निरदइया
रस्ता है मुश्किल
खस्ता है हाल, भइया
कौन सुनेगा, किसको बोले
किसे सुनाएं, कड़वा किस्सा
जब अपना ही भाई, चर गया भाईचारा
कैसा जमाना आ गया है।

नूतन लाल साहू

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