/ बहुत बढ़ रहा उनका छल है /
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जन मन अंतस आज अनल है
बहुत बढ़ रहा उनका छल है ।
अंतस क्षुधा मिटे अब कैसै
पास तुम्हारे कोई हल है ।
तुम पहचान नही पाए क्यों
नयन नीर सम गंगा जल है ।
करनी को भरना ही होगा
कर्म फलों का भोग अटल है।
सतपथ का जो पथिक बना
इस जीवन मे वही सफल है।
पत्थर लेकर घूम रहे जो
उनके ही तो शीश महल हैं।
विजय कल्याणी तिवारी
बिलासपुर छ.ग.
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