प्रेमा के प्रेमिल सृजन __
23/11/2021_
विधा-निश्चल छंद
*सृजन शब्द-मेरे राम
दशरथ नंदन राजा सुन लो,मेरे राम ।
आई विपदा दूर करो अब , हो सब काम ।।
कोई नहीं जगत में तुम बिन, प्रातः शाम ।
भजती तुझको प्रेमा तेरी ,आठो याम ।।1!!
सत्य राह मैं चलती रहती , थामो हाथ ।
तेरे चरणों में झुकता है, देखो माथ ।।
तुम ही तो बने संसार के , प्रभु पतवार ।
अंत समय में मोक्ष दिलाते, तारणहार ।।2!!
श्री राम नाम से जीवन में, जग उजियार ।
मनभावन है लगता मेरा, अब संसार ।।
कहती प्रेमा हो तुम मेरे, प्रभु रखवार ।
पार करो नैया मेरी दो, कृपा अपार ।।3!!
---योगिता चौरसिया " प्रेमा "
-----मंडला म.प्र.
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