सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

रामकेश एम. यादव

ऐ! आसमां वाले

ऐ!  आसमांवाले  कुछ तो अच्छा कर,
अब खुशियों से सबकी झोली तो भर।
आँसू  औ  गम  से  लोग  दबे  जा  रहे,
उजड़ी हुई बस्ती की  बुनियाद तो भर।
शहरों की  फिजायें हैं  उखड़ी -उखड़ी,
जंगलों  के  जिस्म   में  साँस  तो  भर।
ख्वाहिशों  को खौफ़  कब  तक सताए,
ख्वाबों    के  पांव   में  जोश   तो  भर।
मलाल   तो   बहुत  है   तेरे  संसार  से,
वीरान   हुई  दुनिया  में  जान  तो  भर।
कोई न भटके अपनी मंजिल से मालिक,
इन  सबके  अंदर  वो  साहस  तो  भर।
बुझे  दुनिया  में न जाने  कितने   चराग़,
जिंदों में रहमत, नेमत, बरकत  तो भर।
रिश्तों   की  धूप में   फिर चमकें  चेहरे,
लोगों   में   जीने  की   आग  तो   भर।
सूख  चुकी है  जो   साँसों   की  दरिया,
उन   सूनी  मांगों   में   सिंदूर  तो  भर।
तेरे   खजाने   में  कमी  ही   क्या  प्रभु,
फिर  धरा  आसमां में  जवानी तो  भर।

रामकेश एम. यादव (कवि,साहित्यकार),मुंबई

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान हरियाणा द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में "हरिवंश राय बच्चन सम्मान- 2020" से शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी (कवि दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल ) को मिलि उत्कृष्ट सम्मान

राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान हरियाणा द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में "हरिवंश राय बच्चन सम्मान- 2020" से शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी (कवि दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल ) को मिलि उत्कृष्ट सम्मान राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान हरियाणा द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में "हरिवंश राय बच्चन सम्मान- 2020" से शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी (कवि दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल ) को उत्कृष्ट कविता लेखन एवं आनलाइन वीडियो के माध्यम से कविता वाचन करने पर राष्ट्रीय मंच द्वारा सम्मानित किया गया। यह मेरे लिए गौरव का विषय है।

डा. नीलम

*गुलाब* देकर गुल- ए -गुलाब आलि अलि छल कर गया, करके रसपान गुलाबी पंखुरियों का, धड़कनें चुरा गया। पूछता है जमाना आलि नजरों को क्यों छुपा लिया कैसे कहूँ , कि अलि पलकों में बसकर, आँखों का करार चुरा ले गया। होती चाँद रातें नींद बेशुमार थी, रखकर ख्वाब नशीला, आँखों में निगाहों का नशा ले गया, आलि अली नींदों को करवटों की सजा दे गया। देकर गुल-ए-गुलाब......       डा. नीलम

रमाकांत त्रिपाठी रमन

जय माँ भारती 🙏जय साहित्य के सारथी 👏👏 💐तुम सारथी मेरे बनो 💐 सूर्य ! तेरे आगमन की ,सूचना तो है। हार जाएगा तिमिर ,सम्भावना तो है। रण भूमि सा जीवन हुआ है और घायल मन, चक्र व्यूह किसने रचाया,जानना तो है। सैन्य बल के साथ सारे शत्रु आकर मिल रहे हैं, शौर्य साहस साथ मेरे, जीतना तो है। बैरियों के दूत आकर ,भेद मन का ले रहे हैं, कोई हृदय छूने न पाए, रोकना तो है। हैं चपल घोड़े सजग मेरे मनोरथ के रमन, तुम सारथी मेरे बनो,कामना तो है। रमाकांत त्रिपाठी रमन कानपुर उत्तर प्रदेश मो.9450346879