प्रीत पदावली ----
19/11/2021
----- जाने क्यों ? -----
जाने क्यों ?
अनसुलझी पहेली सी लगती है जिंदगी ।
रोती सदा , कम हँसती है जिंदगी ।। जाने क्यों ?
बस चक्रव्यूह में रहा उलझा जीवन ।
झंझावातों में रौनक खोता मन ।।
किसी तीली सी जलती है जिंदगी ।
रोती सदा , कम हँसती है जिंदगी ।। जाने क्यों ?
क्या जाने कब उम्मीदें दम तोड़े ।
किसी मोड़ पर सिया , राम को छोड़े ।।
आज खुशियों से डरती है जिंदगी ।
रोती सदा , कम हँसती है जिंदगी ।। जाने क्यों ?
जो चाहा दिल ने वो मिले कहाँ हैं ।
दावे हैं मिले लूटते सब यहाँ हैं ।।
घुटन लिए जलती बुझती है जिंदगी ।
रोती सदा , कम हँसती है जिंदगी ।। जाने क्यों ?
-------- रामनाथ साहू " ननकी "
मुरलीडीह ( छ. ग. )
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