मै बेवफा के दिल मे वफा खोजता हूँ।
काफिरों के दिल मे खुदा खोजता हूँ।।
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मेरे कदम रवां थे मंजिल के वास्ते।
मयस्सर हो मुझे मै ऐसा समां खोजता हूँ।।
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भूल जाने को उनको हम करेंगे कोशिशें।
मै आग मे भी बर्फ का निशां खोजता हूँ।।
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हर सिम्त फैला गम का अंधेरा जगह-जगह
करे रोशनी मै अपनी मजार का वो दिया खोजता हूँ।।
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फिर से आबाद हो जाये मेरा वीरान चमन।
ऐसी बहारें नजारें वो फिजां खोजता हूँ।।
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मै "राही हूँ मुझे कोई हमसफर न मिला।
मै हर दश्त इश्क का इक जहां खोजता हूँ।।
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अनूप दीक्षित"राही
उन्नाव उ0प्र0
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