दोहे(आनंद)
आत्म-तुष्टि से ही मिले, जीवन में आनंद।
भौतिक सुख से तो रहे,ईश-राह भी बंद।।
मदद करें असहाय की,जो भी हैं संपन्न।
पाकर तब आनंद को,होगा चित्त प्रसन्न।।
गिरे हुए को थामना, है मानव का फर्ज़।
मिले तभी आनंद भी,उतरे सारा कर्ज़।।
स्वच्छ सोच,शुचि कर्म से,मानव बने महान।
आत्मिक सुख-आनंद से,हो जग में पहचान।।
यदि पाना आनंद है,तो करना यह काम।
सब जीवों से प्यार कर,जिसमें लगे न दाम।।
©डॉ0हरि नाथ मिश्र
9919446372
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