" वह रहा सदा अटल "
अटल रहे सदैव जिनके इरादे
कार्य भी किये सदैव ही अटल।
ठाना जो कभी मन में बढ़कर
किया वही हो दृढ़ न हुए विफल।
स्वतंत्रता सेनानी वह देशभक्त
देशसेवा को समर्पित हर वक्त।
राजनीतिज्ञ ,प्रकांड पंडित,कवि
व्यक्तित्व में उनके तेज जैसे रवि।
विश्व पटल पर बन देश का प्रतिनिधि
शक्ति सामर्थ्य दिखलाया बहुविधि।
देश को राजनीतिक, सामरिक
आर्थिक रूप से सम्पन्न बनाया।
उनके दूरदर्शी निर्णयों ने देश को
उन्नति की ओर अनवरत बढ़ाया।
अटल थे वो अटल ही रहे पटल पर
प्रिय जननेता बन बसे मनस पर।
अपने विचारों की स्वर्णिम आभा से
प्रकाशित किया सम्पूर्ण संसार।
मानवता, सौहार्द, प्रेम का दीप जला
किया सर्वत्र उजियारा मिटाया अंधकार।
वे कहते थे यही जीवनभर-
"मनुष्य को चाहिए कि
वह परिस्थितियों से लडे,
एक स्वप्न टूटे तो दूसरा गढे"।
डॉ0 निर्मला शर्मा
दौसा राजस्थान
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