प्रीत पदावली ----
31/12/2021
------ दो नयन -----
ये दो नयन सहारा तलाशतीं हैं ।
कब से एक इशारा तलाशतीं हैं ।।
जिसके लिए खून की धार बहे थे ।
कठिनाइयों के हर समय सहे थे ।।
नजरें सुखद नजारा तलाशतीं हैं ।
क्षण भर अम्न गुजारा तलाशतीं हैं ।।
जहर पिलाते शर्म नहीं आई अब ।
मेरी ममता भी थी मुरझाई कब ।।
कश्ती आज किनारा तलाशतीं हैं ।
प्यासी आँखें प्यारा तलाशतीं हैं ।।
कुछ मोल नहीं है मेरी ममता का ।
स्थान तजी मैंने सदा विषमता का ।।
सबमें भाईचारा तलाशतीं हैं ।
सूखी उद्गम धारा तलाशतीं हैं ।।
गये उम्र उम्मीदों ने बहलाया ।
अक्सर अपनों ने ही मुझे सताया ।।
अब भी दिव्य सितारा तलाशतीं हैं ।
ननकी राजदुलारा तलाशतीं हैं ।।
---- रामनाथ साहू " ननकी "
मुरलीडीह ( छ. ग. )
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