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एस के कपूर श्री हंस

*।।रचना  शीर्षक।।*
*।।हर क्षण,हर पल,जीवन को*
*अच्छा आप     बनाते   चलें।।*
*।।विधा।।मुक्तक।।*
1
जिन्दगी का साथ आप 
हमेशा निभाते   चलिये।
हर घड़ी जीवन बढ़िया
आप  बनाते      चलिये।।
अशांति  क्लेश  जीवन
में    न कर पाएं  प्रवेश।
क्षमागुण    से  समस्या 
आप सुलझाते  चलिये।।
2
सीखें  लहरों से  गिरना
और      फिर     उठना।
सीखिये  अच्छा सच्चा 
बोलना    और   सुनना।।
सरल विनम्र   शांत बने  
यह है    जीवन प्रबंधन।
अनुभव से      सीखना
उसको  फिर     गुनना।।
3
नाकामीउतार कर जोश
की      चादर    ओढ़ लें।
भरेआग सीने  में   और
निराशा     छोड़        दें।।
परिस्तिथि कैसी हो मन
स्तिथि न   बिगड़े  कभी।
मैं से हम   की       ओर
राह    अपनी    मोड़ लें।।
4
जानलें  अच्छे   व्यवहार
का  कोई      मूल्य  नहीं।
कोईअन्य सद्गुण इसके
जैसा    तुल्य          नहीं।।
सुंदरवाणी में क्षमता सारे
दिलों   कोजीतने      की।
ये सारांश कोईअन्य पूंजी
व्यक्तित्वजैसीअमूल्य नहीं।।
*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस"*
*बरेली।।*
*©. @.   skkapoor*
*सर्वाधिकार सुरक्षित*

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