*।।रचना शीर्षक।।*
*।। कोशिश करने वाले हाथों की*
*लकीरें बदल सकते हैं।।*
*।।विधा।। मुक्तक।।*
1
तुम चाहो तो हर तस्वीर
बदल सकते हो।
चाहो तुम तो तकदीर
बदल सकते हो।।
यदि नहीं मानी मन
से हार तुमने।
हाथों की तुम तो लकीर
बदल सकते हो।।
2
आ जाये उजाला तो फिर
अंधेरा हट जाता है।
जीत पक्की जब शब्द
हौंसला रट जाता है।।
सोच बदले तो नतीजा भी
जाता है बदल।
सफलता तभी निराशा का
भाव छट जाता है।।
3
जीवन में उम्मीद भी और
आघात भी है।
हार के साथ ही जीत की
सौगात भी है।।
उम्मीद का दामन न छोडो
तभी जीत मिलती।
जीत के हर मंत्र का यही
ख्यालात भी है।।
4
उमंग और जज्बे से हर
उड़ान होती है।
जोशो जनून से दूर बाधा
इस जहान होती है।।
बस पँखों से ही कुछ
नहीं है होता।
हौंसला तो सामने मंज़िल
मुकाम होती है।।
*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस"*
*बरेली।।*
*©. @. skkapoor*
*सर्वाधिकार सुरक्षित*
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