दिनांक 24/12/2021
'जीता है संघर्ष सदा'
क्या हुआ न मिले अगर जो पहली बार सफलता
ज़िद पर अड़े रहो जीत का यही है उपाय सस्ता।।
कोशिश करे गर कोई तो क्या हो नहीं सकता
मंज़िल तो तय है कैसा भी हो कठिन रस्ता।।
है कौन दुनिया में जिसे सब कुछ मिला यूँ ही
ये सफ़र ज़िंदगी का इतना भी नहीं सस्ता।।
नाउम्मीद जो बैठे हैं अब कोई क्या करे उनका
हौंसलों ने उम्मीदों से खुद ही जोड़ लिया रिश्ता।।
मिलकर चले जिस पर उस राह के हमराही
कुछ पहुँचे मंज़िल पर, कुछ भूल गए रस्ता।।
मैंने भी स्वीकार ऐसे ही नहीं की चुनौतियाँ
मैं वो काम करती हूँ जो कोई कर नहीं सकता।।
इसीलिए संघर्ष करने से कभी मत घबरा जाना
इतनी भी आसानी से नहीं मिलती सफलता।।
चंचल हरेंद्र वशिष्ट,
आर के पुरम,नई दिल्ली भारत
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें