सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

एस के कपूर श्री हंस

*।।रचना  शीर्षक।।*
*।।मत होना मायूस     जीवन से*
*कि जिंदगी में सौगात बहुत है।।*
*।।विधा।। मुक्तक।।*
1
खुशी होकर जियो जिंदगी 
में जज्बात बहुत है।
मिलेगा बहुत कुछ      इस
में  सौगात बहुत है।।
पर वाणी में रखना      तुम
मिठास    बहुत ही।
बात की चोट से यहाँ    पर
आघात    बहुत  है।।
2
न गुम रहनाअतीत में यादों
की   बारात बहुत है।
मत होना मायूस    खुशियों 
की अफरात बहुत है।।
बना कर रखना तुम   अपने 
रिश्ते       नातों     को।
अपनों के खोने पाने      की
यहाँ मुलाकात बहुत है।।
4
समय से चल कदम  मिलाके
वक्त की रफ्तार बहुत है।
जो रखते मस्तिष्क को  ठंडा
उन्हें     सत्कार बहुत है।।
क्रोध को त्यागना ही     उत्तम
है     यहाँ            पर।
व्यर्थ का जीवन में   यहाँ  पर
गुफ्तार      बहुत    है।।
5
पैदा करनी    शांति कि    घृणा
का रक्तपात   बहुत है।
करना नहीं विश्वास कि    धोखे
की खुराफात बहुत है।।
बढ़ाना आदमी से   आदमी का
प्यार      यहाँ      पर।
जिंदगी में बिना वजह आंसुओं
की बरसात बहुत है।।
6
मत तोड़ना विश्वास कि     यहाँ
घात प्रतिघात बहुत है।
कोशिश जरा करेआदमी अच्छा
हालात         बहुत  है।।
जीत को रखना जीवन में  बहुत
ही संभाल     कर तुम।
गर कभी मन हार गए तो    फिर
मात       बहुत      है।।
*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस*"
*बरेली।।*
*©. @.   skkapoor*
*सर्वाधिकार सुरक्षित*

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

डा. नीलम

*गुलाब* देकर गुल- ए -गुलाब आलि अलि छल कर गया, करके रसपान गुलाबी पंखुरियों का, धड़कनें चुरा गया। पूछता है जमाना आलि नजरों को क्यों छुपा लिया कैसे कहूँ , कि अलि पलकों में बसकर, आँखों का करार चुरा ले गया। होती चाँद रातें नींद बेशुमार थी, रखकर ख्वाब नशीला, आँखों में निगाहों का नशा ले गया, आलि अली नींदों को करवटों की सजा दे गया। देकर गुल-ए-गुलाब......       डा. नीलम

डॉ. राम कुमार झा निकुंज

💐🙏🌞 सुप्रभातम्🌞🙏💐 दिनांकः ३०-१२-२०२१ दिवस: गुरुवार विधाः दोहा विषय: कल्याण शीताकुल कम्पित वदन,नमन ईश करबद्ध।  मातु पिता गुरु चरण में,भक्ति प्रीति आबद्ध।।  नया सबेरा शुभ किरण,नव विकास संकेत।  हर्षित मन चहुँ प्रगति से,नवजीवन अनिकेत॥  हरित भरित खुशियाँ मुदित,खिले शान्ति मुस्कान।  देशभक्ति स्नेहिल हृदय,राष्ट्र गान सम्मान।।  खिले चमन माँ भारती,महके सुरभि विकास।  धनी दीन के भेद बिन,मीत प्रीत विश्वास॥  सबका हो कल्याण जग,हो सबका सम्मान।  पौरुष हो परमार्थ में, मिले ईश वरदान॥  कविः डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" रचना: मौलिक (स्वरचित)  नई दिल्ली

रक्तबीज कोरोना प्रतियोगिता में शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल को मिला श्रेष्ठ साहित्य शिल्पी सम्मान

रक्तबीज कोरोना प्रतियोगिता में शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल को मिला श्रेष्ठ साहित्य शिल्पी सम्मान महराजगंज टाइम्स ब्यूरो: महराजगंज जनपद में तैनात बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षक व साहित्यकार दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल को श्रेष्ठ साहित्य शिल्पी सम्मान मिला है। यह सम्मान उनके काव्य रंगोली रक्तबीज कोरोना के चलते मिली है। शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी ने कोरोना पर अपनी रचना को ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता में भेजा था। निर्णायक मंडल ने शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल के काव्य रंगोली रक्तबीज कोरोना को टॉप 11 में जगह दिया। उनकी रचना को ऑनलाइन पत्रियोगिता में  सातवां स्थान मिला है। शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी को मिले इस सम्मान की बदौलत साहित्य की दुनिया में महराजगंज जनपद के साथ बेसिक शिक्षा परिषद भी गौरवान्वित हुआ है। बेसिक शिक्षा विभाग के शिक्षक बैजनाथ सिंह, अखिलेश पाठक, केशवमणि त्रिपाठी, सत्येन्द्र कुमार मिश्र, राघवेंद्र पाण्डेय, मनौवर अंसारी, धनप्रकाश त्रिपाठी, विजय प्रकाश दूबे, गिरिजेश पाण्डेय, चन्द्रभान प्रसाद, हरिश्चंद्र चौधरी, राकेश दूबे आदि ने साहित्यकार शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल को बधाई दिय...