हास्य व्यंग्य प्रधान आशुकवि की रचना का पावनमंच आनन्द ले, सभी को मेरा सादर प्रणाम.... विषय.... ।।अतर।। देखें..... बिखेर रहा बहु इत्र सुगन्ध, फर्शनु अर्श अँटा अँगडा़ई।। जैइसेनु नाम रहा बढि़या , वैसेन नाम प्रसिद्धि कमाई।। निकसा जस सागर मंथनु ते, वैइसेनु बाहर भा भी जमाई।। लक्ष्मी जसु कैदु किया था देवारनु, वैसेन नीकु गति कस पाई।। पाप घड़ा अकुलानु धरा जस, सोना औ चाँदी अथाह छपाई।। कानूननु हाथ हैं लम्बे बडे़ , चलती कहाँ बहु दिन चतुराई।। रेड परी सरकार छकी तब, चंचल घोरि अकूत कमाई।। गुनाह नहीं हौं सेठ कही, शासनु केरि कमी हौं गाई।। कैसी गढ़ी खुफिया यहु देशु, जान सकी नहि नीति बुराई।। सुदृढ़ होत जौ शासनु ई, तौ चलती नहि केहु कै चतुराई।। जौ शासनु हिन्द जुगाड़ चलै, तौ जुगाड़नु होत अकूत कमाई।। छल,छद्म ,कपट ,चतुराई जतिक, अवगुन जो भी धरा दिखि जाई।। सब मा रहै सहयोगी ई शासनु, गुण्डनु जीति विधानु बनाई।। आशुकवि रमेश कुमार द्विवेदी, चंचल ।। ओमनगर, सुलतानपुर, उत्तर प्रदेश, भारत।।228001।। मोबाइल... 8853521398,9125519009।।
💐🙏🌞 सुप्रभातम्🌞🙏💐 दिनांकः ३०-१२-२०२१ दिवस: गुरुवार विधाः दोहा विषय: कल्याण शीताकुल कम्पित वदन,नमन ईश करबद्ध। मातु पिता गुरु चरण में,भक्ति प्रीति आबद्ध।। नया सबेरा शुभ किरण,नव विकास संकेत। हर्षित मन चहुँ प्रगति से,नवजीवन अनिकेत॥ हरित भरित खुशियाँ मुदित,खिले शान्ति मुस्कान। देशभक्ति स्नेहिल हृदय,राष्ट्र गान सम्मान।। खिले चमन माँ भारती,महके सुरभि विकास। धनी दीन के भेद बिन,मीत प्रीत विश्वास॥ सबका हो कल्याण जग,हो सबका सम्मान। पौरुष हो परमार्थ में, मिले ईश वरदान॥ कविः डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" रचना: मौलिक (स्वरचित) नई दिल्ली
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