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ऊषा जैन कोलकाता

*मेरे कान्हा*

मैं मन के भाव  सुनाती हूँ
कृष्ण के गीत गाती हूँ। 
तड़के तड़के उठ जाती हूँ
नाम कृष्ण का लेती हूँ। 
नैनों में कान्हा मूरत है
मैं मन के भाव सुनाती हूँ। 
कृष्ण के गीत गाती हूँ। । 

धड़कन में बसते हैं कान्हा
साँसो की लय है कान्हा। 
सुन के पुकार कभी तो मेरी
आएँगे मेरे कान्हा।
मै मन ही मन हर्षाती हूँ
मैं मन के भाव सुनाती हूँ। 
कृष्ण के गीत गाती हूँ। । 

हँसती है तो हँसले दुनिया
परवाह नहीं मैं करती । 
मेरे ह्रदय के सिंहासन पर
कान्हा ही तो रहते हैं। 
मैं रोज उन्हें पुकारती हूँ
मैं मन के भाव सुनाती हूँ। 
कृष्ण के गीत गाती हूँ।। 

🙏🌹 *सुप्रभात*🌹🙏

*ऊषा जैन कोलकाता*

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