कुण्डलिया- परिवर्तन!
परिवर्तन जग का नियम, प्रकृति परा भगवान!
ठंडी़, गर्मी, शीत ॠतु, तीनों काल महान!!
तीनों काल महान, इन्हें जरूर है आना!
तब तो होय विकास, बस्तु का मिले खजाना!!
कहत अमर कविराय, प्रकृति के बल अपवर्तन!
बदल जाय भी स्वास्थ्य, यही जग का परिवर्तन!!
अमरनाथ सोनी "अमर "
9302340662
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