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नूतन लाल साहू

ऐसा क्यों हो रहा है

पूजा स्थल होता है अति पावन
मंदिर मस्जिद को बना दिये,सत्ता का साधन
राजनीति में हिस्सा मांगे,आधा आधा
लड़े बाप से बेटा और पोते से दादा
आखिर ऐसा क्यों हो रहा है।
लगता है प्यारे, अकल तेरी
चरने गई है,घास
समरथ को नही,दोष कछु
कह गये गोस्वामी तुलसीदास
सदगुरु के बिना मोक्ष नही
बिरथा जनम गंवाया
अब भी प्यारे,समय है
सोच में मत पड़ ज्यादा
पर सदगुरु,इस कलियुग में मिलता कहां है
आखिर ऐसा क्यों हो रहा है।
अपनी अपनी सभी हांकते है
बहरे हो गये है,सुनकर कान
पर संकट की घड़ी में
कोई न सुनने वाला मिलेगा
चाहे कितना रो ले गा ले
पहले यह कथन कटु सत्य था
सांई इतना दीजिए, जामे कुटुंब समाय
मैं भी भूखा न रहूं,साधो न भूखा जाय
परंतु अब,मन में संतोष कहां है
आखिर ऐसा क्यों हो रहा है।

नूतन लाल साहू

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