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अमरनाथ सोनी अमर

मिल न पाओ तुम अगर! 
2122,2122,2122,212.

मिल न पाओ तुम अगर नुकसान क्या होगा हमें! 
सोचती हो क्यों तु मन में जान मन जाओ तुम्ही! 

रोज करती रार तुमतो धमकियाँ देती हमें! 
जो पडे़ मन में करो तुम जल्द बतलाओ तुम्हीं!! 

रोज क्यों धमकी तु देती है भरोषा तुम नहीं! 
कल नहीं तुम आज कर के  आज बतलाओ तुम्हीं!! 

रोज का झंझट खतम कर अब तु फुरसत कर हमें! 
अब तु रिश्ता तोड़ के तुम आज तो जाओ  तुम्हीं!! 

जब तुम्हें मिल जाय कोई हम मिले मानों कहीं! 
रोज के तकरार से अब मुक्ति दिलवाओ तुम्ही!! 


अमरनाथ सोनी "अमर "
9302340662

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