प्रीत पदावली ----
------ भोर -----
चल शुभ भोर हुई अब ।
जाग साधना पर लग जा ।।
चहलपहल हर ओर हुई अब ।
मन केंद्रित हो आराध्य जहाँ ।
भटकेगा ये क्यों कहाँ कहाँ ।।
बीते जग से शोर हुई अब ।
ब्रह्म तेज से मन को भर ले ।
अंतस के तम तट को हर ले ।।
क्रिया शक्ति की डोर हुई अब ।
चंचल वृत्तियाँ शाँति के पथ ।
मंगलनाथ मिलन का अथ कर ।।
विमल भावना जोर हुई अब ।
दृष्टिकोण परिवर्तन संभव ।
अनुभव होता निज में अभिनव ।।
अंत्य भक्ति चहुँ छोर हुई अब ।
सार सुसंस्कृत सुदूर सुगीत ।
परम ज्योति आभासित पुनीत ।।
चित्त तूर्य मति मोर हुई अब ।
-------- रामनाथ साहू " ननकी "
मुरलीडीह ( छ. ग. )
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