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नूतन लाल साहू

नववर्ष अभिनंदन

अभिनंदन अभिनंदन
नववर्ष अभिनंदन।
ये वर्ष बीत रहा है
कोरोणा महामारी के आतंक से
जर्रा जर्रा डरा हुआ है
पत्थर भी घबराया है
कैसे सुनाऊं,किसको बताऊं
लाशों का ढेर लग गया है
नववर्ष की नई सुबह से
नई उमंगे और खुशियां हो
अभिनंदन अभिनंदन
नववर्ष अभिनंदन।
सांप्रदायिकता की आंधी
चल रही है मेरे देश में
महंगाई का रोना
रो रहे है नर नारी
भारत मां के आंचल पर
खुशियां ही खुशियां भर दें
अभिनंदन अभिनंदन
नववर्ष अभिनंदन।
लोग अपने साये से भी
डर रहे है आजकल
अगले बरस के पहले ही
खुशनुबा माहौल बनें
नववर्ष की नई सुबह से
नई उमंगे और खुशियां हो
अभिनंदन अभिनंदन
नववर्ष अभिनंदन।

नूतन लाल साहू

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