प्रीत पदावली ----
30/12/2021
------ अचला -----
दूर कहीं पर दीप जला है ।
आज्ञाता की चीर संगिनी ,
चंचलता पाकर अचला है ।।
स्मृति के पन्ने थके पलटते ,
मन प्यासा ही बहुत चला है ।
आशाओं के संबल देकर ,
अब किसने फिर मुझे छला है ।।
पड़ी ओस कण इन फूलों पर ,
भीगा भीगा वो निकला है ।
यूँ तो तय था होना उसका ,
मौसम भी बदला- बदला है ।।
आई सुरमयी साँझ भी कल थी ,
समय बिलखते मंद चला है ।
कैसे विस्मृत हो चिंतन पथ ,
मद्धम टिम- टिम चाँद गला है ।।
रहा टहलता इन गलियों पर ,
व्यथित भावना लिए पला है ।
कभी शिकायत के क्षण गुजरे ,
लेकिन हर्षोन्माद टला है ।।
---- रामनाथ साहू " ननकी "
मुरलीडीह ( छ. ग. )
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